Tokyo Olympics: क्या है 'विक्ट्री बाय फॉल', जिसने 7-9 से पिछड़ने के बाद भी रवि दहिया को पहुंचाया फाइनल में
आखिरी के तीन मिनट तक तो स्कोर में भारतीय पहलवान 2-9 से पीछे चल रहे थे। इतने बड़े अंतर से पीछे होने के बाद भी रवि ने अपना जोश बरकरार रखा और एक ऐसा दांव लगाया जो अचूक होता है लेकिन इसको लगाना बेहद ही मुश्किल माना जाता है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आमिर खान की फिल्म दंगल में जिस तरह से पर्दे पर रोमांच से भरा गीता फोगाट की कहानी को दिखाया गया था ऐसा ही कुछ बुधवार को रवि दहिया का मैच रहा। आखिर मिनट तक जीत से दूर नजर आ रहे इस भारतीय पहलवान ने एक ऐसा दांव लगाया, जिसने देश को खुशी से झूमने का पल दे दिया। कजाकिस्तान के पहलवान के खिलाफ रवि ने 57 किलो भारवर्ग के सेमीफाइनल मुकाबले में शानदार जीत दर्ज की।
सेमीफाइनल मैच में रवि को कजाकिस्तान के पहलवान नुरिस्लाम सनायेव ने शुरुआत से ही अंक हासिल करने का मौका नहीं दिया। आखिरी के तीन मिनट तक तो स्कोर में भारतीय पहलवान 2-9 से पीछे चल रहे थे। इतने बड़े अंतर से पीछे होने के बाद भी रवि ने अपना जोश बरकरार रखा और एक ऐसा दांव लगाया, जो अचूक होता है, लेकिन इसको लगाना बेहद ही मुश्किल माना जाता है। Into the Final! RAVI KUMAR Dahiya 🔥 Only 2nd Indian wrestler to be in #Olympics final. #Tokyo2020 pic.twitter.com/sXabaFzUsm
ओलिंपिक जैसे बड़े मंच पर इतना मुश्किल दांव लगाना और जीत हासिल करना किसी चैंपियन का ही खेल हो सकता है। स्कोर मैच खत्म होने के बाद 7-9 से कजाकिस्तान के हक में था, लेकिन एक दांव विक्ट्री बाय फॉल ने रवि को फाइनल का टिकट दिला दिया। शुरुआत से ही बढ़त बनाए रखने के बाद भी इस तरह से हारने पर विरोधी पहलवान मैच पर रोते अफसोस करते नजर आए।
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क्या होती है विक्ट्री बाय फॉल
भारतीय स्टार एक वक्त पर मैच में काफी पीछे हो चुके थे, लेकिन आखिर के मिनटों में रवि ने कजाक पहलवान को चित करके मुकाबला जीता। इंटरनेशनल रेसलिंग में इस तरह से जीत हासिल करने को विक्ट्री बाय फॉल कहा जाता है। ऐसे जीत हासिल करना किसी भी पहलवान के लिए आसान नहीं होता। इस जीत को हासिल करने के लिए पहलवान को अपने प्रतिद्वंद्वी को चित कर उसके दोनों कंधे मैट से लगाना होता है। जब ऐसा किया जाता है तो इसे ही टेक्निकल भाषा में विक्ट्री बाय फॉल कहते हैं।