Tokyo Olympics 2020 में नीरज चोपड़ा का कमाल, दमदार अंदाज से फाइनल राउंड में बनाई जगह

Tokyo Olympics 2020 में भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के लिए शानदार क्वालीफाइंग दौर रहा। उन्होंने बेजोड़ 86.65 के साथ तालिका के शीर्ष पर समाप्त किया। उनसे जो उम्मीद देश को थी वो उन उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:37 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 09:37 AM (IST)
Tokyo Olympics 2020 में नीरज चोपड़ा का कमाल, दमदार अंदाज से फाइनल राउंड में बनाई जगह
Tokyo Olympics 2020 में नीरज चोपड़ा क्वालीफिकेशन में टॉप पर रहे

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Tokyo Olympics 2020: अपना पहला ओलिंपिक खेलने के लिए टोक्यो गए जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से जो उम्मीद देश को थी, वो उन उम्मीदों पर खरा उतरे। नीरज चोपड़ा ने पुरुष भाला फेंक स्पर्धा में शीर्ष पर रहते हुए क्वालीफिकेशन दौर पूरा किया। इस तरह नीरज चोपड़ा ने कमाल कर दिखाया, क्योंकि कोई भी भारतीय खिलाड़ी इन ओलिंपक खेलों में व्यक्तिगत स्पर्धा में क्वालीफिकेशन राउंड के बाद शीर्ष पर नहीं रहा है।

पहली बार देश के लिए ओलिंपिक खेलने उतरे नीरज चोपड़ा ने पहली बार में ही 86.65 मीटर भाला फेंक कर फाइनल राउंड में प्रवेश कर लिया। इतना ही नहीं, ग्रुप ए और ग्रुप बी के मैचों के बाद नीरज चोपड़ा क्वालीफाइंग दौर में शीर्ष पर रहे। इतनी दूर किसी का भाला नहीं गया। इस तरह उन्होंने अपने पहले ही ओलिंपिक खेलों में कमाल किया है, लेकिन अब उनसे देश को और भी उम्मीद लग गई और अब उनके कंधों पर अधिक जिम्मेदारी होगी।

नीरज चोपड़ा को टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतने का मजबूत दावेदार मानने का एक और कारण यह है कि उन्होंने पिछली 22 प्रतियोगिताओं में लगातार 85 मीटर से अधिक का स्कोर किया है। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाला फेंक में भारत के हीरो की ताकत और तकनीक की क्या है। इसकी कल्पना करना अपने आप में बड़ी बात है। क्वालीफिकेशन के दौरे में सिर्फ एक ही बार नीरज चोपड़ा मैदान में उतरे और मैदान मार लिया।

वहीं, ग्रुप बी में शामिल भारत के शिवपाल सिंह टोक्यो में 81.63 मीटर भाला फेंकने में कामयाब हुए, लेकिन जेवलिन थ्रोअर शिवपाल सिंह फाइनल में अपने समकक्ष नीरज चोपड़ा के साथ शामिल नहीं हो सके। 76.4 मीटर तक पहुंचने के बाद, वह ग्रुप बी में 12वें स्थान पर रहे और ग्रुप बी से सिर्फ 5 ही खिलाड़ियों को फाइनल में पहुंचने का मौका मिला, क्योंकि टोक्यो ओलिंपिक के नियमों के हिसाब से आपको कम से कम फाइनल में जगह पक्की करने के लिए 82.4 मीटर या उससे अधिक का थ्रो होना चाहिए था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।

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