पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा न देने पर IOC ने उठाया बड़ा कदम, भारत नहीं कर सकेगा इन खेलों की मेजबानी

शूटिंग विश्व कप के लिए भारत ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा नहीं दिया जिसके बाद आइओसी ने बड़ा कदम उठाया।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 02:36 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 08:34 AM (IST)
पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा न देने पर IOC ने उठाया बड़ा कदम, भारत नहीं कर सकेगा इन खेलों की मेजबानी
पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा न देने पर IOC ने उठाया बड़ा कदम, भारत नहीं कर सकेगा इन खेलों की मेजबानी

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) ने पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा देने से इन्कार के बाद आखिरकार भारत को 14 कोटा के साथ निशानेबाजी विश्व कप के आयोजन की अनुमति तो दे दी है, लेकिन भारत को भविष्य में देश में आयोजित होने वाले किसी भी ओलंपिक और खेल प्रतियोगिताओं की मेजबानी से भी अलग कर दिया है।

भारतीय एथलीटों पर लग सकता है प्रतिबंध 
आइओसी ने भारत की तरफ से मिले लिखित आश्वासन के बाद विश्व कप की मेजबानी दी है। हालांकि, भारत के ऊपर इससे बड़ा संकट मंडरा रहा है। अगर भारत सरकार 15-20 दिनों में खेलों में ओलंपिक चार्टर के पूर्ण पालन का आश्वासन नहीं देती है तो आइओसी भारतीय एथलीटों के किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में खेलने पर प्रतिबंध तक लगा सकती है।भारत में चल रहे निशानेबाजी विश्व कप में पाकिस्तान के दो निशानेबाजों को वीजा नहीं मिला था। इसके बाद पाकिस्तान राइफल संघ ने 2020 ओलंपिक कोटा के तहत उसे इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लेने का मौका मिलने पर उसने आइओसी के सामने प्रस्ताव रखा था। पुलवामा अटैक के बाद देश के माहौल को देखते हुए भारत सरकार ने यह फैसला लिया था।

इस वजह से लिया गया फैसला
आइओसी ने शुक्रवार को इस मामले पर लुसाने में बैठक की। आइओसी की तरफ से कहा गया कि भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए), आइओसी और अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी संघ (आइएसएसएफ) के आखिरी वक्त तक किए प्रयासों के बाद भी पाकिस्तानी टीम के प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कोई रास्ता नहीं बन सका। यह स्थिति किसी भी तरह के भेदभाव नहीं करने के आइओसी के मूल चार्टर के खिलाफ है। आइओसी की प्रतिबद्धता है कि मेजबान देश में आने वाले सभी खिलाडि़यों को किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना निष्पक्ष और समानता के माहौल में प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिले। आइओसी के अनुसार, मौजूदा घटनाक्रम के परिणाम के तहत आइओसी कार्यकारी बोर्ड ने फैसला किया है कि आइओए और सरकार के साथ भविष्य में किसी भी खेल प्रतियोगिता और ओलंपिक से संबंधित प्रतियोगिताओं के आयोजन को लेकर सभी चर्चाएं पूरी तरह से स्थगित की जाती हैं।

ओलंपिक की मेजबानी पर भी चर्चा नहीं 
इस निर्णय का असर भारत की यूथ ओलंपिक, ओलंपिक और एशियन गेम्स की संभावित मेजबानी पर भी पड़ेगा। भारत 2026 यूथ ओलंपिक, 2032 ओलंपिक और 2030 एशियन गेम्स की मेजबानी की संभावनाएं तलाश रहा था और इसको लेकर आइओसी से बातचीत भी हो रही थी। भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) ने पहले ही 2032 ओलंपिक की मेजबानी के लिए आइओसी को अपनी इच्छा जताई थी। 2026 यूथ ओलंपिक की बोली प्रक्रिया अगले साल से शुरू होनी है। आइओए के महासचिव राजीव मेहता ने कहा कि हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। 

भारत में होने वाले सभी खेलों के लिए यह खतरनाक परिस्थितियां हैं। हमारे एथलीटों को भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने में दिक्कत होती है। यह ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन है और इससे देश की छवि गिरी है। अगर भारतीय सरकार अगले 15-20 दिनों में गारंटी नहीं देती है तो आइओसी से एक और पत्र आ जाएगा। आइओए के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आइओसी को लगता है कि भारत सरकार आइओसी चार्टर में दखलंदाजी कर रही है। सीधे-सीधे मामले में भी अनुमति नहीं दी जा रही है। 

इससे पहले पिछले साल भारत में हुई महिला विश्व चैंपियनशिप में भी कोसोवो के एक मुक्केबाज को वीजा नहीं मिला था। हमारी जानकारी के अनुसार आइओसी ने सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया है। अगर भारत सरकार आइओसी को लिखित में आश्वासन नहीं देती है कि वह भविष्य में ओलंपिक चार्टर के तहत भारत में होने वाली प्रतियोगिताओं में सहयोग करेगी और मेजबान देश में आने वाले सभी खिलाडि़यों को किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना निष्पक्ष और समानता के माहौल में प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा तो फिर भारत के खिलाडि़यों के भी विदेश में खेलने में दिक्कत हो सकती है। 

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