भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगान ने कहा, उतार-चढ़ाव ने मुझे मजबूत बनाया
टोक्यो ओलंपिक के आयोजन के नहीं होने के डर पर उन्होंने कहा कि पिछले साल मेरे दिमाग में यह बात आई थी लेकिन अब नहीं। टोक्यो में अगर मैं पदक जीत जाती हूं तो कुश्ती नहीं छोडूंगी। पहले मैं सोचती थी कि अगर हार गई तो लोग क्या कहेंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदक की बड़ी उम्मीदों में से एक महिला पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि करियर के उतार-चढ़ाव ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया है।
विनेश ने ऑनलाइन पत्रकार वार्ता में कहा कि मैं आज खुद को मानसिक रूप से मजबूत समझती हूं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने मुश्किल समय का सामना किया है। रियो ओलंपिक में चोटिल होने की घटना से मुझे काफी सीख मिली है। टोक्यो ओलंपिक को पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण एक साल के लिए टाल दिया गया था और इस वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण एक बार फिर इसके आयोजन पर खतरा मंडराने लगा है। विनेश इस दौरान खुद भी कोरोना वायरस का शिकार हुई लेकिन बीमारी से उबर कर उन्होंने रोम में मात्तेओ पेलिकोन और अल्माटी में एशियाई चैंपियनशिप जीत कर शानदार वापसी की।
टोक्यो ओलंपिक के आयोजन के नहीं होने के डर पर उन्होंने कहा कि पिछले साल मेरे दिमाग में यह बात आई थी लेकिन अब नहीं। टोक्यो में अगर मैं पदक जीत जाती हूं तो कुश्ती नहीं छोडूंगी। पहले मैं सोचती थी कि अगर हार गई तो लोग क्या कहेंगे। अब मैंने महसूस किया है कि जीत और हार का असर दो दिनों के लिए रहता है। लोग उसके बाद भूल जाते है। रियो की घटना ने मुझे बदल दिया है। अब मैं खुद के लिए इस खेल का लुत्फ उठाने के लिए खेलती हूं। अगर ओलंपिक नहीं हुआ तो भी कुश्ती खत्म नहीं होगी। मुझे इस दौरान जो भी मौका मिलता है उसका फायदा उठाना चाहिये। मैं सिर्फ इस बात को लेकर चिंतित हूं कि किसी विशेष स्थिति में क्या करने की आवश्यकता है।