टोक्यो ओलंपिक में में तिरंगा फहराना ही मुख्य लक्ष्य: मुक्केबाज सिमरनजीत कौर
सिमरनजीत कौर ने कहा कि ओलंपिक के बारे में कभी सोचा नहीं था। कामयाबी मिलती गई तो ओलंपिक पदक का सपना दिलो-दिमाग में पाल लिया। अब टोक्यो का टिकट मिल चुका है तो पदक जीतने का सपना भी जरूर साकार करूंगी।
उम्र 25 साल, कद पांच फुट छह इंच। जब वह चीते की फुर्ती से प्रतिद्वंद्वी पर हमला करती हैं तो संभलने का मौका नहीं देतीं। यह हैं पंजाब के लुधियाना के गांव चक्कर की मुक्केबाज सिमरनजीत कौर बाठ, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद मात्र 14 साल की उम्र में मुक्केबाजी के रिंग में उतरने वाली सिमरनजीत ने पिछले 11 वर्षो की कड़ी मेहनत से ओलंपिक का टिकट हासिल किया है। ओलंपिक की तैयारियों को लेकर सिमरनजीत कौर से भूपेंदर सिंह भाटिया ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :
-टोक्यो का टिकट मिलने के बाद अब क्या लक्ष्य है?
--14 साल की उम्र में जब मुक्केबाजी शुरू की थी तो ओलंपिक के बारे में कभी सोचा नहीं था। कामयाबी मिलती गई तो ओलंपिक पदक का सपना दिलो-दिमाग में पाल लिया। अब टोक्यो का टिकट मिल चुका है तो पदक जीतने का सपना भी जरूर साकार करूंगी। ओलंपिक रिंग में उतरने से पहले एक ही लक्ष्य है, देश के लिए स्वर्ण पदक जीत ओलंपिक में तिरंगा फहरा सकूं। टोक्यो में जब राष्ट्रगान बजेगा तो वह मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी का दिन होगा।
-टोक्यो की उड़ान भरने से पहले किस तरह मेहनत कर रही हैं?
--वर्मतान में पुणे सेंटर में इटली के कोच रैफाएले बर्गामास्को के अलावा कैंप के अन्य कोच की देखरेख में कड़ा अभ्यास चल रहा है। रोजाना पांच-छह घंटे नियमित अभ्यास कर रही हूं और ओलंपिक में जाने से पहले 20 दिनों के लिए इटली में ट्रेनिंग होगी। ओलंपिक में 60 किग्रा लाइट वेट कैटेगरी में उतरूंगी।
-नियमित अभ्यास के साथ किन बातों पर ध्यान दे रही हैं?
--पुणे में नियमित कोच के अलावा अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट मदद करते हैं। मुक्केबाज के लिए रिंग में उतरने से पहले मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। इसके लिए नियमित एक्सरसाइज, योग व मेडिटेशन भी होता है। एशियाई चैंपियनशिप और विश्व मुक्केबाजी में पदक जीतने के बाद मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत हुई हूं और यह मजबूती ओलंपिक में मुझे लक्ष्य तक पहुंचाने में मददगार साबित होगी।
-किसी खास अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज को अपना प्रतिद्वंद्वी मानती हैं?
--ओलंपिक में पहुंचने वाला हर मुक्केबाज मजबूत होता है। किसी भी प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज को रिंग में उतरने के बाद हलके में नहीं लेती हूं और हर मुक्केबाज के साथ कड़ा मुकाबला होगा। इसके लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूं। मुझे गर्व है कि ओलंपिक में उतरने वाली पंजाब की पहली महिला मुक्केबाज हूं और पदक जीत पंजाब और पंजाबियों का नाम रोशन करूंगी।