गगन नारंग निशानेबाजी टीम को लेकर आश्वस्त, कहा-इस बार हम ज्यादा पदकों की उम्मीद तो कर ही सकते हैं
मैं यह देख पा रहा हूं कि हमने एक ऐसा सिस्टम बना लिया है जो सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को ढूंढकर उन्हें तराशने का काम कर रहा है। खेलो इंडिया गेम्स स्कालरशिप और मान्यता प्राप्त अकादमी इसी की ओर बढ़ाया गया एक कदम है।
गगन नारंग का कालम। मैं यह देख पा रहा हूं कि हमने एक ऐसा सिस्टम बना लिया है जो सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को ढूंढकर उन्हें तराशने का काम कर रहा है। खेलो इंडिया गेम्स, स्कालरशिप और मान्यता प्राप्त अकादमी इसी की ओर बढ़ाया गया एक कदम है। जो एथलीट अच्छे होते हैं वो आगे चलकर टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम (टाप्स) में डेवलपमेंट ग्रुप में पहुंचते हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को टाप्स (कोर ग्रुप) से समर्थन मिलता है।
निजी कंपनियों की भागीदारी भी काफी बढ़ रही है। यहां तक कि कई बार क्राउड फंडिंग भी देखने को मिल रही है। ज्यादा बेहतर पेशेवर अप्रोच के साथ एक सिस्टम तैयार हो रहा है, जिसका फोकस सभी क्षेत्र में हाई परफोरमेंस विकास हो। मैं बिना किसी हिचक के यह कह सकता हूं कि यह भारतीय खेलों के लिए बेहद शानदार समय है।
मैं देख पा रहा हूं कि टोक्यो 2020 ने पहले ही कुछ नए मील के पत्थर हासिल कर लिए हैं। इस बार ओलिंपिक में भारत अब तक का अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है। मेरे लिए यह अच्छे काम के संकेत हैं, जिसे सबने मिलकर किया है, ताकि एथलीट अपने सपने को पूरा कर सकें। ऐसे में इस बार हम ज्यादा पदकों की उम्मीद तो कर ही सकते हैं। मैं जानता हूं कि खेल में कभी भी कुछ भी हो सकता है, लेकिन जब हमने हमारे एथलीटों को तैयारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ अवसर दिए हैं और वे मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर ढंग से तैयार भी हैं तो हम अच्छे परिणाम की उम्मीद तो कर ही सकते हैं।
1992 में मैंने ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर एक तीरंदाज को तीर मारकर ओलिंपिक मशाल को जलाते हुए देखा था, उसी ने मेरे भीतर यह आग भड़काई थी। मैंने सिडनी गेम्स को अच्छे से फालो किया, क्योंकि मैंने एक निशानेबाज के तौर पर अपने सफर की शुरुआत कर दी थी। चार ओलिंपिक में भाग लेने के बाद अब मुझे अपने एथलीटों से उम्मीद है कि वे टोक्यो से हमें ढेर सारी अच्छी यादें देंगे।