खेल डायरी: कोविड-19 ने खिलाड़ियों की चुनौतियों को बढ़ा दिया : बजरंग पूनिया
बजरंग पूनिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने उन खिलाडि़यों की चुनौतियों को बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत के शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने उन खिलाडि़यों की चुनौतियों को बढ़ा दिया है, जो एक साल तक स्थगित हुए टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल करने की कोशिश में लगे हैं। बजरंग ने कहा कि ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके उनके जैसे पहलवानों के पास एक ही लक्ष्य है कि इसके लिए सर्वश्रेष्ठ संभावित तरीके से अभ्यास करें। बजरंग 65 किग्रा में दुनिया के शीर्ष पहलवानों में शामिल है। उन्होंने हाल ही में इंस्पायर इंस्टिट्यूड ऑफ स्पोर्ट्स (आइआइएस) में अभ्यास शुरू किया है जहां जॉíजयाई कोच शाको बेंटिनिडिस भी उनके साथ हैं।
बजरंग ने एक वेबिनार में कहा, 'मेरा एक स्पष्ट लक्ष्य है कि मुझे ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना है। यह उन लोगों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण है जिन्होंने अभी तक क्वालीफाई नहीं किया है। मैं नहीं कह सकता कि मेरे प्रदर्शन में सुधार हुआ है या नहीं क्योंकि कोई प्रतियोगिता नहीं हो रही है। हम सभी लॉकडाउन में है लेकिन मैंने एक दिन भी अभ्यास नहीं छोड़ा। बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपके आसपास कैसे लोग हैं, वे आपको प्रेरित करते हैं या नहीं। मेरे आसपास अच्छे लोग हैं।' इस वेबिनार में विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता पूजा ढांडा ने भी कहा कि प्रतिस्पर्धा की कमी ने पहलवानों के हौसले को कम किया है।
दूसरों की नकल करके ओलंपिक स्वर्ण नहीं जीत सकते : विकास
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय मुक्केबाज विकास कृष्णन ने कहा कि एमेच्योर और पेशेवर मुक्केबाजी में एक साथ करियर बनाना मुश्किल है लेकिन ओलंपिक में स्वर्ण जीतने के उनके लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह जरूरी है। कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में स्वर्ण और एशियन गेम्स 2018 में कांस्य पदक जीतने वाले इस खिलाड़ी ने पिछले साल पेशेवर मुक्केबाजी में हाथ आजमाया था। वह इसमें अपनी दोनों बाउट जीतने में सफल रहे है। वह पिछले दिसंबर में एमेच्योर मुक्केबाजी में वापस आए और टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफिकेशन हासिल करने में सफल रहे। विकास अगले महीने अमेरिका में होने वाले पेशेवर सर्किट में वापस जाएंगे।
विकास ने एक वेबिनार में कहा, 'इसमें बदलाव करते रहना मुश्किल है। एमेच्योर में अंक जुटाना होता है तो वहीं पेशेवर में प्रतिद्वंद्वी को चोटिल करना होता है लेकिन आपको ओलंपिक में पदक जीतने के लिए कुछ अलग करना होगा। आप वही काम नहीं कर सकते तो दूसरे मुक्केबाज कर रहे है। मेरा पहला लक्ष्य ओलंपिक क्वालीफाई करके पूरा हो गया है। अब मैं चार महीने तक पेशेवर मुकाबलों में रहूंगा जिसका प्रशिक्षण ले रहा हूं। मैं ओलंपिक की तैयारी के लिए जनवरी-फरवरी में वापस आऊंगा।'