सोनाखान तक पहुंच गया कोरोना, टीका अबतक नहीं
ओडिशा राज्य का सुंदरगढ़ जिला कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
तन्मय सिंह, राजगांगपुर
ओडिशा राज्य का सुंदरगढ़ जिला कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। भले ही शहरी क्षेत्र में संक्रमितों की संख्या अधिक हो, लेकिन गांव भी संक्रमण की चपेट से बच नहीं पाए है। ऐसा ही एक गांव राजगांगपुर शहर से आठ किलोमीटर दूर कुटनिया पंचायत का सोनाखान है। यहां कोरोना का संक्रमण घर-घर तक पहुंच चुका है। गांव के 100 से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है। लेकिन दूसरी लहर के बीच केवल दो दफा ही स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव के दौरे पर आई थी। गांव के सात के करीब लोगों की मौत सर्दी व बुखार की वजह से हुई है। जिसे ग्रामीण संभावित कोरोना संक्रमण से मौत मान रहे है। काबिलेगौर बात यह है कि सोनाखान गांव तक कोरोना तो पहुंच चुका है। लेकिन इसका टीका अब तक ग्रामीणों के लिए नहीं पहुंच पाया है।
गांव से एक किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन यहां टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है। आश्चर्य की बात यह है कि ग्रामीणों को यह भी नहीं पता कि कहां और कब, उन्हें इस भयानक बीमारी से बचने का टीका दिया जाएगा। इस कारण ग्रामीणों में भय का वातावरण है। कोरोना ने उनकी पूरी जिदगी बदलकर रख दी है। गांव में अब पहले जैसा माहौल नहीं है। लोग एक-दूसरे के पास आने से डर रहे है। जरूरत पड़ने पर ही एक दूसरे के सामने, वह भी दूरी बनाकर बातचीत कर रहे है। पहले जैसे गांव में चौपाल नहीं लगती है। ग्रामीण समझ गए है कि घर से निकलना है तो मास्क पहनना अनिवार्य है। कहीं अगर बातचीत के लिए लोग जमा भी होते हैं तो शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखते हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि अगर वे कोरोना की चपेट में आए तो उन्हें इलाज तक नहीं मिलेगा। पूरे पंचायत में एक छोटा सा स्वास्थ्य केंद्र है वहां किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। अगर किसी को कुछ समस्या होती है तो उसे आठ किलोमीटर दूर राजगांगपुर सरकारी अस्पताल आकर जांच कराना पड़ता है। गांव वालों का कहना है मोबाइल वैन के जरिए पूरे डेढ़ महीने में सिर्फ दो ही बार कोरोना जांच हुई है। इस दौरान करीब 90 लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उसके बाद जांच नहीं हुई। उनका कहना है हम ठीक से इस वर्ष खेती बाड़ी नहीं कर पा रहे अगर समय से टेस्ट और कोरोना टीका लग जाता तो हम अपने खेतों में अपनी खेती कर सकते। कोरोना के कारण गांव के रास्ते सुनसान पड़े है। गांव में बाहरी लोगों के आने पर भी रोक है।