धनेश्वर झांकर के मोडस ओपेरंडी जानकर पुलिस हतप्रभ

संभवत संबलपुर पुलिस के लिए कुख्यात अपराधी धनेश्वर झांकर उर्फ टिमा को गिरफ्तार करना उसके लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 07:19 AM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 07:19 AM (IST)
धनेश्वर झांकर के मोडस ओपेरंडी जानकर पुलिस हतप्रभ
धनेश्वर झांकर के मोडस ओपेरंडी जानकर पुलिस हतप्रभ

संवाद सूत्र, संबलपुर : संभवत: संबलपुर पुलिस के लिए कुख्यात अपराधी धनेश्वर झांकर उर्फ टिमा को गिरफ्तार करना उसके लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती थी। जानकारों की मानें तो धनेश्वर की चतुराई के सामने पुलिस भी बौनी दिखने लगी थी, लेकिन कहते हैं कि कोई क्राइम परफेक्ट नहीं होता और ना ही पुलिस की पकड़ से अपराधी अधिक दिनों तक बचा रह सकता है। धनेश्वर के साथ भी यही हुआ। उसने खुद को पुलिस की गिरफ्त से बचाने के लिए कई मोडस ओपेरंडी यानी कार्यशैली बना रखा था, लेकिन आखिर उसकी चतुराई कोई काम नही आई और पुलिस उसे गिरफ्तार करने में सफल रही।

धनेश्वर झांकर उर्फ टिमा की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला है कि स्थानीय सदर थाना अंतर्गत रासनपुर गांव का धनेश्वर झांकर उर्फ टिमा एक अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी था और शारीरिक रूप से चुस्त दुरुस्त भी था। वर्ष 2013 में वह अपने गांव के कुछ अपराधी युवकों के साथ मिलकर विद्युत टॉवरों से एल्यूमीनियम का तार काटकर चोरी करने लगा था। इसी दौरान उसकी मुलाकात स्थानीय सोनापाली इलाके के कुख्यात अपराधी सरफराज खान उर्फ बाबू कंग से हुई। दोनों ने मिलकर कई अपराध किए। बाबू कंग कई बार गिरफ्तार हुआ तब धनेश्वर अपनी अलग टीम बनाकर अपराध करने लगा। संबलपुर जिला के जुजुमुरा, सासन, अईंठापाली, धमा, कुचिडा, महुलपाली, सदर, खेतराजपुर, रेढाखोल, रेंगाली और ठेलकुली थाना इलाके में उसने दो दर्जन से अधिक वारदात की, लेकिन केवल एक बार वर्ष 2018 में कुचिडा पुलिस उसे पकड़ सकी थी। मयूरभंज पुलिस ने उसे रिमांड पर लिया, लेकिन धनेश्वर चकमा देकर केंदूझर से फरार हो गया था।

धनेश्वर की चतुराई और शातिर दिमाग का अंदाजा लगाना पुलिस के लिए आसान नहीं था। अलग अलग जिलों में अपराध करने के लिए वह वहां के अपराधियों की सहायता लेता था। उसकी दो पत्नी हैं, लेकिन कभी कभार ही वह अपनी पत्नियों के पास जाता था। उसका अधिकतर समय जंगलों में दौड़कर खुद को चुस्त दुरुस्त रखने और रात के समय पेड़ों पर सोकर बिताने में गुजारता था। अगर कभी वह अपने घर आता भी था तब उसके पालतू कुत्ते उसके घर के आसपास होते थे और अनजान लोग को देखकर भौंकने लगते थे और धनेश्वर सतर्क हो जाता था।

पुलिस को पता चला था कि धनेश्वर के पास करीब दर्जन भर मोबाइल फोन थे और प्रत्येक मोबाइल में उसने अलग अलग सिम डाल रखा था। और तो और, वह कभी भी इंटरनेट मीडिया का उपयोग नहीं किया और पुलिस की नजरों से बचा रहा।

ऐसा बताया जा रहा है कि धनेश्वर की गिरफ्तारी को संबलपुर पुलिस ने चुनौती के रूप में लिया। उसके गांव रासनपुर इलाके में एक किराए का मकान लिया गया, जिसमें पुलिस के अंडरकवर एजेंट धनेश्वर की गतिविधि और उसके बारे में जानकारी एकत्रित करने लगे। पुलिस को सफलता तब मिली जब उसके बारे में उसके ही एक साथी से धनेश्वर के ठिकाने के बारे में पता चला। इसी के बाद पुलिस ने रासनपुर गांव निकटस्थ जंगल की घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार करने में सफल रही।

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