मेरी आवाज ही पहचान है में कलाकारों ने बांधा समा
सर्किट हाउस के निकट जिला सभागार तपस्विनी में आयोजित इस कार्यक्रम में कलाकारों ने लता मंगेशकर के गाये एकल व युगल गीतों को अपनी आवाज देकर पुराने नगमों को जीवंत कर दिया।
संवादसूत्र, संबलपुर। हिंदी व ओड़िया फिल्मो के गीतों को जीवित रखने और इनसे जुड़े कलाकारों को सम्मान देने के लिए गठित संवर्द्धना संगठन की ओर से रविवार की शाम को स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के गीतों को लेकर मेरी आवाज ही पहचान है, कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सर्किट हाउस के निकट जिला सभागार तपस्विनी में आयोजित इस कार्यक्रम में कलाकारों ने लता मंगेशकर के गाये एकल व युगल गीतों को अपनी आवाज देकर पुराने नगमों को जीवंत कर दिया।
कलाकारों ने सत्यम शिवम सुंदरम.., तू कितनी भोली है.., इक प्यार का नगमा है.., प्यार तेरी पहली नजर को सलाम.., जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं.., डफली वाले डफली बजा..,आदि गीत गाकर कार्यक्रम में चार चांद लगाए। इसमें संवर्द्धना के अध्यक्ष मानस जयपुरिया ने पिछले बार के विजेताओं को पुरस्कृत किया। इसके आयोजन में त्रिलोचन त्रिपाठी एसएस नामदेव, मानस जयपुरिया, प्रतिनंदा मिश्र, प्रियदर्शिनी नाथ, मृदुला घोष, श्रुति, सुश्रिता, सोमनाथ, युगल ने गीत गाये जबकि सुस्मिता पटनायक और रामशिव त्रिपाठी ने मंच का संचालन किया। राजेन्द्र प्रसाद पंडा, ब्रजेन्द्र नायक, मानस प्रुष्टि ने इसमें सहयोग किया।