द्वारका रात्रे हत्याकांड का आरोपित गिरफ्तार

विगत 26 सितंबर की रात खेतराजपुर थाना अंतर्गत बंगलापाड़ा इलाके में घटित द्वारका रात्रे हत्याकांड में पुलिस ने उसी मोहल्ले के राजा जलहारी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 09:17 AM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 02:51 PM (IST)
द्वारका रात्रे हत्याकांड का आरोपित गिरफ्तार
द्वारका रात्रे हत्याकांड का आरोपित गिरफ्तार

संवाद सूत्र, संबलपुर : विगत 26 सितंबर की रात खेतराजपुर थाना अंतर्गत बंगलापाड़ा इलाके में घटित द्वारका रात्रे हत्याकांड में पुलिस ने उसी मोहल्ले के राजा जलहारी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि रात्रे और जलहारी परिवार के बीच वर्षों पुरानी दुश्मनी है, जिसका ताजा शिकार द्वारका हुआ। अपनी गिरफ्तारी के बाद आरोपित राजा ने इस दुश्मनी का खुलासा करते हुए स्वीकार किया कि उसने घटना वाली रात द्वारका को शराब पिलाकर धुत करने के बाद उसपर चाकू से हमला किया था। आरोपित का यह बयान पुलिस ने गवाहों की उपस्थिति में वीडियोग्राफी किया है।

द्वारका रात्रे हत्याकांड के आरोपित राजा जलहारी के अनुसार, पारिवारिक दुश्मनी के बावजूद वह द्वारका रात्रे के साथ मिलकर अक्सर शराब पीता था। 26 सितंबर की रात भी दोनों ने मिलकर शराब पीया था। द्वारका को राजा ने जानबूझकर अधिक शराब पिलाया। इसके बाद दोनों वापस बंगलापाड़ा लौटे। वहां राजा और द्वारका के बीच पुरानी दुश्मनी को लेकर बहस शुरू हो गई और राजा ने चाकू निकालकर द्वारका के सीने में घोंप दिया। द्वारका जान बचाकर अपने घर तो पहुंचा, लेकिन अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

खेतराजपुर थाना की पुलिस को जांच पड़ताल के दौरान पता चला कि करीब आठ वर्ष पहले जलहारी और रात्रे परिवार के बीच लड़ाई झगड़े का सूत्रपात हुआ था। वर्ष 2013 के फरवरी में द्वारका रात्रे के बड़े भाई भोला रात्रे को आरोपित राजा जलहारी के बड़े भाई रोशन जलहारी ने चाकू मारा था। इस घटना में पुलिस ने रोशन समेत 3 को गिरफ्तार किया था। इसका बदला लेने के लिए बाद में जगदीश रात्रे, भोला रात्रे और द्वारका रात्रे ने मिलकर रोशन पर हमला किया था। इसकी रिपोर्ट के बाद पुलिस ने रात्रे गुट को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2014 में पुलिस ने एक मामले में राजा को गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के पीछे द्वारका की मुखबिरी होने का संदेह कर राजा बदला लेने के चक्कर में था और सात वर्ष बाद अपना बदला ले लिया।

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