पुरुष शून्य हो गया किसान परिवार, भुगतान अबतक नहीं

धान का भुगतान नही होने से आर्थिक तंगी में इलाज को तरसते किसान पिता-पुत्र की मौत के बाद परिवार बेसहारा हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 May 2021 08:05 AM (IST) Updated:Mon, 24 May 2021 08:05 AM (IST)
पुरुष शून्य हो गया किसान परिवार, भुगतान अबतक नहीं
पुरुष शून्य हो गया किसान परिवार, भुगतान अबतक नहीं

संसू, बामड़ा : धान का भुगतान नही होने से, आर्थिक तंगी में इलाज को तरसते किसान पिता-पुत्र की मौत के बाद परिवार बेसहारा हो गया है। परिवार में कोई पुरुष सदस्य जीवित न होने से सिर्फ चार विधवा महिलाएं बचीं हैं। धान का भुगतान न होने से इलाज के अभाव में दो सदस्यों की मौत हो गई थी। चार महीने पहले पांच जनवरी को बामडा प्रखंड भगपडा गाव के किसान दिलेस्वर पटेल ने उचकापाट धान मंडी में 66.45 क्विंटल धान बेचा था। धान खरीदने वाली महिला स्वयं सहायता समूह ने धान खरीद की रसीद भी दी है। धान का भुगतान 72 घटे के भीतर किसान के बैंक खाते में जमा करने का प्रविधान के बावूजद अबतक उसका मूल्य, एक लाख, 24 हजार रुपये भुगतान नहीं किया गया है। किसान दिलेश्वर पटेल किडनी रोग से पीड़ित थे और पैसे के अभाव में उनका ठीक से इलाज नही हो पा रहा था। इसके बावजूद वो धान का भुगतान के लिए बामड़ा, कुचिंडा और संबलपुर के विभिन्न कार्यालयों में चक्कर लगाते रहे लेकिन किसी का भी दिल नही पसीजा। बीमारी और दौड़ाभागी में घर मे जो थोड़े बहुत पैसे थे वो भी खर्च हो गए। आर्थिक तंगी के बीच दौड़ा भागी में दिलेस्वर को कोरोना ने भी दबोच लिया और दिलेस्वर का पांच मई को निधन हो गया। दिलेश्वर की मौत के दशवें दिन इकलौते बेटे सुनील की भी ह्रदय गति रुकने से मौत हो गई। सुनील भी आर्थिक तंगी के कारण मानसिक तनाव से गुजर रहा था। सुनील के साथ बिधवा मां के अलावा उसकी तीन विधवा बहन भी रहती हैं। इनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी सुनील पर थी। एक किसान द्वारा अपना हक का पैसा के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाते हुए मौत के मुंह मे चले जाने से किसान संगठन भी मर्माहत है। आर्थिक तंगी में इलाज के लिए परिचितों से उधार लिए गए रुपये के भुगतान की चिंता भी इस किसान परिवार में बचीं चार विधवा महिलाओं को सता रही है।

किसान संगठन ने मानवाधिकार आयोग से लगाई न्याय की गुहार : बामड़ा के जय किसान आदिम कृषक सुरक्षा संगठन के आवाहक योगबिहारी परिडा ने घटना को दुखत बताते हुए इसके लिए जिला प्रशासन, आपूर्ति विभाग, को-ऑपरेटिव सोसाइटी की लापरवाही, दायित्वहीनता, संवेदनहीनता को कसूरवार ठहराया है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर पुरुष शून्य इस परिवार को धान का भुगतान, सहायता राशि देने और त्वरित न्याय दिलाने और कसूरवार अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की माग की है। परिडा ने लिखा है ये इकलौता परिवार नही है, उचकापाट पंचायत के 22 किसानों ने 1850.15 क्विंटल धान मंडी में बेचा था किसी का भी भुगतान नही हुआ है। संगठन पत्र की प्रति राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी प्रेषित किया है। जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो खुदकुशी कर जान देने की भी चेतावनी दी है।

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