घट रही है सरफगढ़ डैम की जल धारण क्षमता

सरफगढ़ के पास छेदलंगना नाले में 1985 में निर्मित डैम में पंक जमा होने से इसकी जल धारण क्षमता में कमी आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 08:45 AM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 08:45 AM (IST)
घट रही है सरफगढ़ डैम की जल धारण क्षमता
घट रही है सरफगढ़ डैम की जल धारण क्षमता

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सरफगढ़ के पास छेदलंगना नाले में 1985 में निर्मित डैम में पंक जमा होने से इसकी जल धारण क्षमता में कमी आ रही है। डैम की देखरेख नहीं होने के कारण किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। डैम के कमांड क्षेत्र में 3198 हेक्टेयर क्षेत्र है, जहां से खरीफ ऋतु में 2747 हेक्टेयर एवं रबी फसल के समय 1340 हेक्टेयर जमीन पर खेती का लक्ष्य है। पानी नहीं मिलने से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं एवं बांध से पंक साफ करने की मांग की जा रही है।

लेफ्रीपाड़ा ब्लॉक क्षेत्र में कृषि के विकास के लिए मध्यम सिचाई परियोजना का काम 1977 में शुरू किया गया एवं 1985 में पूरा किया गया। इस परियोजना की जल धारक क्षमता 75.30 वर्ग किलोमीटर था एवं डैम की गहराई 319 मीटर व ऊंचाई 25 मीटर थी। इस डैम में 1 हजार 375 लाख घन मीटर जल संरक्षण की क्षमता थी। इसका प्रसार क्षेत्र सर्वाधिक 233 हेक्टेयर एवं 140 हेक्टेयर है। परियोजना का कमांड अंचल 3 हजार 198 हेक्टेयर है जबकि सिचाई क्षमता का कमांड क्षेत्रफल करीब 2 हजार 238 हेक्टेयर होने का सरकारी रिपोर्ट से पता चलता है। खरीफ ऋतु में 2 हजार 747 हेक्टेयर एवं रबी ऋतु में 1 हजार 340 हेक्टर दर्शाया गया है। केनाल की लंबाई 42.89 किलोमीटर है। इस परियोजना से गिरिगकेला, पटुआडीह, सालेटिकरा, वैरागीबहाल, सुआरजोर, कादोमाल, लेफ्रीपाड़ा, कराडेगा गांव क्षेत्र के किसान निर्भर हैं। खरीफ के साथ रबी ऋतु में भी खेती कर किसानों लाभ अर्जित करते हैं। जैसे जैसे डैम पुराना हो रहा है इसकी जल धारण क्षमता भी घटती जा रही है जिससे किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। इस परियोजना के लिए पांच पानी पंचायत बनाकर उन्हें इसकी जिम्मेदारी दी गई है पर इसकी निगरानी के लिए आवश्यक राशि सिचाई विभाग से नहीं मिल रही है। डैम पर मसाविरा अंचल में वन क्षेत्र होने के कारण बारिश के दिनों में पहाड़ी इलाके से मिट्टी, बालू व कंकड़ बहकर डैम में आ रहा है जिससे इसकी गहराई कम हो रही है। बारिश कम होने के कारण खरीफ धान की फसल के लिए पानी कम पड़ गया। अब रबी फसल के लिए पानी कहां से मिलेगा, इसकी चिता किसानों को होने लगी है।

chat bot
आपका साथी