डीएमएफ कोष के दुरुपयोग पर जनजाति आयोग ने जिलापाल से मांगी रिपोर्ट

सुंदरगढ़ जिला खनिज कोष के दुरुपयोग एवं आदिवासी अधिसूचित खान प्रभावित क्षेत्र के विकास पर राशि खर्च नहीं होने का मामला अनुसूचित जनजाति आयोग के पास पहुंचा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 09:51 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 09:51 PM (IST)
डीएमएफ कोष के दुरुपयोग पर जनजाति आयोग ने जिलापाल से मांगी रिपोर्ट
डीएमएफ कोष के दुरुपयोग पर जनजाति आयोग ने जिलापाल से मांगी रिपोर्ट

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिला खनिज कोष के दुरुपयोग एवं आदिवासी अधिसूचित खान प्रभावित क्षेत्र के विकास पर राशि खर्च नहीं होने का मामला अनुसूचित जनजाति आयोग के पास पहुंचा है। जनजाति आयोग ने 15 नवंबर को नोटिस जारी कर 15 दिनों के अंदर इसकी रिपोर्ट देने को कहा है। इस अवधि में रिपोर्ट नहीं देने पर जिलापाल को आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना होगा। सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र नायक ने आयोग से इसकी शिकायत की थी जिसे आयोग ने गंभीरता से लिया है।

जिला खनिज कोष की राशि का उपयोग खान प्रभावित आदिवासी बहुल इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, मां व शिशु तथा अन्य विकास कार्य पर खर्च करने के बजाय शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसकी शिकायत राष्ट्रीय जनजाति आयोग से की गई थी। इस पर आयोग ने जिलापाल से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। यदि निर्धारित समय के अंदर रिपोर्ट नहीं मिलती है तो जिलापाल को व्यक्तिगत रूप से आयोग के सामने पेश होना होगा। सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र नायक ने आयोग से शिकायत की है कि जिला खनिज कोष की राशि का ठीक तरह से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस कारण लोगों को सुविधा नहीं मिल पा रही है। इस क्षेत्र के लोग बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने बाहर जा रहे हैं। मानव तस्करी हो रही है। बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। प्रदूषण बढ़ने के कारण लोगों की खेती योग्य जमीन बंजर हो रही है। वन उत्पाद भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है। यहां राशि का 60 प्रतिशत खर्च करने के नियम का उल्लंघन किया जा रहा है। विस्थापितों के पुनर्वास के क्षेत्र में भी राशि खर्च नहीं हो पा रही है। हेमगिर से लेकर कोइड़ा तक बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के लोग खान से प्रभावित हुए हैं। उन पर राशि खर्च न कर शहरी क्षेत्र के सौंदर्यीकरण, विलासपूर्ण मकान, अधिकारियों के लिए वाहन खरीदने, जेनरेटर खरीदने पर खर्च किए जा रहे हैं। इसकी ऑडिट कराने की मांग उन्होंने आयोग से की है।

chat bot
आपका साथी