कोरोना का खौफ : इंजीनियर के पार्थिव शरीर को गांव वालों ने नहीं दिया कंधा

कोरोना संक्रमण से मौत पर गांव वालों ने कंधा देने से मना कर दिया। आधी रात को इसकी खबर मिलने पर श्मशान बंधु 50 किलोमीटर दूर जाकर शव का अंतिम संस्कार किया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 10:08 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 10:08 PM (IST)
कोरोना का खौफ : इंजीनियर के पार्थिव शरीर को गांव वालों ने नहीं दिया कंधा
कोरोना का खौफ : इंजीनियर के पार्थिव शरीर को गांव वालों ने नहीं दिया कंधा

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोरोना संक्रमण से मौत पर गांव वालों ने कंधा देने से मना कर दिया। आधी रात को इसकी खबर मिलने पर श्मशान बंधु 50 किलोमीटर दूर जाकर शव का अंतिम संस्कार किया। घटना सुंदरगढ़ जिले के सबडेगा ब्लाक के देवगांव की है। अब तक हिदू परंपरा के अनुसार शवदाह करने वाले श्मशान बंधुओं ने ईसाई परंपरा के अनुसार शव का संस्कार संपन्न कराया।

अनुगुल-रेंगाली ओडिशा हाइड्रा प्रोजेक्ट में कार्यरत इंजीनियर सबडेगा ब्लाक के देवगांव निवासी जोश कुजूर ने कुछ दिन पहले कोरोना जांच कराई थी। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनमें किसी तरह के लक्षण नहीं थे एवं रेंगाली स्थित निवास पर होम क्वारंटाइन में रहकर इलाज करा रहे थे। मंगलवार को अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई। ऑक्सीजन का स्तर गिरने के कारण उन्हें अनुगुल स्थित कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई। इसके बाद परिवार के लोग उनका पार्थिव शरीर लेकर देवगांव आ गए। उन्हें गांव वालों के सहयोग से परंपरा के अनुसार अपनी जन्म भूमि में शव का संस्कार होने की उम्मीद थी पर जब वे गांव पहुंचे और लोगों को अंतिम संस्कार के लिए बुलाया तो कोरोना संक्रमण के डर से कोई सामने नहीं आया। इससे परिवार के लोग असहाय अवस्था में थे। शव को कंधा देने वाला कोई नहीं था। आधी रात तक शव घर में पड़ा था। तब उन्हें सुंदरगढ़ के श्मशान बंधुओं की याद आई। उन्होंने फोन पर उनसे संपर्क किया और सहयोग का अनुरोध किया। तब करीब 11 बज रहे थे एवं श्मशान बंधु सिद्धांत पंडा, शिशिर बेहरा, कमलेश नथानी, विजय ओता एवं देवेन साहू श्मशान से घर लौट रहे थे। उन्हें इसका पता चलते ही करीब 50 किलोमीटर दूर जाकर रात करीब एक बजे पीपीइ किट पहन कर कफीन (लकड़ी का बक्सा ) तैयार किया एवं शव को कंधा देकर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर कब्रिस्तान में जाकर जोश कुजूर का ईसाई परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया।

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