विस्थापन का दंश : नाती खोज रहा दशकों पहले नाना को मिली जमीन

राउरकेला हवाई अड्डे के लिए विस्थापित हुए परिवारों की जमीन तो चली गई। लेकिन उन्हें जिस स्थान पुनर्वास का उल्लेख दस्तावेजों में किया गया है वहां पर अब तक उनकी जमीन की पहचान तक नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 08:20 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 08:20 AM (IST)
विस्थापन का दंश : नाती खोज रहा दशकों पहले नाना को मिली जमीन
विस्थापन का दंश : नाती खोज रहा दशकों पहले नाना को मिली जमीन

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला हवाई अड्डे के लिए विस्थापित हुए परिवारों की जमीन तो चली गई। लेकिन उन्हें जिस स्थान पुनर्वास का उल्लेख दस्तावेजों में किया गया है, वहां पर अब तक उनकी जमीन की पहचान तक नहीं हो पाई है। इस बीच 60 साल गुजर गए और आज भी अपनी जमीन के लिए विस्थापित परिवार संघर्ष कर रहे हैं। विस्थापितों की दो पीढ़ी गुजर कर तीसरी पीढ़ी आ गई है। लेकिन इन्हें आवंटित जमीन की पहचान की प्रक्रिया अब तक न हो पाने के कारण विस्थापित अपने हक से महरूम है। राउरकेला हवाई अड्डा की स्थापना के समय अंचल में रहने वाले चमा उरांव की लगभग 5 एकड़ से अधिक जमीन में से 1 एकड़ 42 डिसमिल जमीन पर (खाता संख्या 7/8) में रनवे का निर्माण किया गया है। जबकि 2 एकड़ 15 डिसमिल जमीन में से कुछ जमीन हवाई अड्डे के भीतर और कुछ जमीन बाहर में है। जिसका खाता संख्या 22 है। जमीन जाने के बाद उन्हें जमीन दिए जाने की बात सरकारी रिकार्ड में दर्शायी गई है।

विस्थापित परिवार को मिली है 3.65 एकड़ जमीन : इस बीच चमा ओराम गुजर चुके हैं। उनके नाती कालू लकड़ा के मुताबिक नाना की जमीन पर राउरकेला हवाई अड्डा का रनवे तैयार हुआ है। इसके बदले में उन्हें सीलकुटा व जोलडा में 3 एकड़ 65 डिसमिल जमीन दिए जाने की बात कहीं जा रही है। यहां तक कि कालू के परिवार के पास उनके जमीन के पट्टा के दस्तावेज है। इसके लिए हर साल खजाना भी भरते है। लेकिन सीलकुटा व जोलडा के किस हिस्से में उन्हें जगह दी गई है, यह अब तक जिला प्रशासन दिखा नहीं पा रहा है। जिलापालों का आना जाना लगा हुआ है, लेकिन 60 साल में जिला प्रशासन विस्थापित परिवार को जमीन के बदले जमीन नहीं दिलवा पा रहा है।

पानपोष उपजिलापाल की अदालत में चल रहा है केस : अपनी जमीन वापस करने के लिए विस्थापित परिवार की ओर से राष्ट्रीय एससी, एसटी आयोग व सुंदरगढ़ जिलापाल को पत्र लिखा गया है। दूसरी ओर पानपोष उपजिलापाल की अदालत में भी इसे लेकर मामला दर्ज होने के बावजूद यह वर्तमान भी विचाराधीन है। विस्थापित परिवार द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत मांगी गई सूचना में भी यह उल्लेख है कि उन्हें सीलकुटा व जोलडा के आरएस कालोनी में जमीन दी गई है। हालांकि उन्हें दी गई जमीन इन दोनों जगहों पर कहां है, इसकी आज तक पहचान नहीं हो पाई है। परिवार को जमीन कब मिलेगी, इसकी वे अपेक्षा कर बैठे है।

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