कोरोना काल में घर-घर विराजे महाकाल

सावन का महीना शिव भक्तों के लिए खास होता है। इस महीने में कांवर लेकर शिवालयों में जाने जलाभिषेक करने रुद्राभिषक कराने भंडारा देने के अलावा विभिन्न सेवा कार्य करने में शिव भक्त सक्रिय रहते थे पर इस साल कोरोना महामारी के चलते मंदिरों पर सभी तरह के कार्यक्रमों पर पाबंदी लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 09:52 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 09:52 PM (IST)
कोरोना काल में घर-घर विराजे महाकाल
कोरोना काल में घर-घर विराजे महाकाल

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सावन का महीना शिव भक्तों के लिए खास होता है। इस महीने में कांवर लेकर शिवालयों में जाने, जलाभिषेक करने, रुद्राभिषक कराने, भंडारा देने के अलावा विभिन्न सेवा कार्य करने में शिव भक्त सक्रिय रहते थे पर इस साल कोरोना महामारी के चलते मंदिरों पर सभी तरह के कार्यक्रमों पर पाबंदी लगी है। ऐसे में लोग घरों में ही शिव मंदिर बनाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। तुलसी पौधे पर जल अर्पण कर इसकी औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। सभी तरह के कार्यक्रम कोरोना गाइडलाइन में छूट मिलने तक स्थगित होंगे। कोरोना के चलते सरकार की ओर से सभी शिवालयों में भक्तों के द्वारा पूजा अर्चना करने पर पाबंदी लगायी गई है। मंदिर में भक्त प्रवेश नहीं कर रहे हैं। शिव भक्त होने के नाते हर साल सावन में शिवालय में जाकर पूजा करता रहा था पर इस साल शिव जी का अभिषेक करना संभव नहीं है। अच्छा है कि घर में ही भगवान की पूजा कर लेंगे। ढील मिलने पर शिवालय जाकर पूजा करेंगे।

- कृष्णा साहू, राउरकेला। कोरोना में पाबंदी के चलते मंदिर नहीं जा रहे हैं। घर में अपना छोटा सा मंदिर बना है। यहां पास पड़ोस की महिलाए मोबाइल पर कीर्तन भजन लगाकर साथ में मंत्र पढ़ लेते हैं। घर में ही रुद्राभिषेक कराया जा रहा है। भगवान श्रद्धा और भक्ति चाहते हैं उनकी पूजा तो कही भी की जा सकती है। मंदिर ही जाना जरूरी नहीं है घर ही सबसे बड़ा मंदिर है।

- सुषमा प्रसाद, राउरकेला। इस साल कांवड़ यात्रा पर पाबंदी लगी है। लोगों को घरों में ही पूजा करने को कहा गया है। सबकी सोच अलग अलग है। हम जानते हैं कि भगवान की पूजा मन से की जाती है। हम घर में ही भगवान की पूजा कर रहे हैं। पूरे महीने सात्विक भोजन करते हैं। सावन की सोमवारी को उपवास रहता है। पहले तो अपने को महामारी से बचाना है इसके बाद और कुछ।

मंजू मेहेर, राउरकेला। कोरोना के चलते बड़े मंदिरों व शिव धाम में पूजा व कांवर लेकर जाने पर पाबंदी है। शहर के छोटे मंदिरों में तो ऐसा नहीं है। घर के पास के मंदिर में जाकर पूजा कर लेंगे। यदि यहां भी मना कर दिया जाता है तो घर में ही भगवान की पूजा कर लेंगे। बाकी मन्नत मांगना, भोग लगाना सारे काम गाइडलाइन के अनुसार बाद में कर लिया जायेगा।

- शिवकुमार अग्रवाल, राउरकेला। सावन के महीने में हर साल शिवालय में जाकर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक होता था पर इस साल मंदिर में जाने पर रोक है। घर की छत पर तुलसी पर जलाभिषेक कर लेंगे। घर की महिलाएं व्रत रख रही हैं एवं सभी तरह की पूजा घर में ही हो रही है। सावन पूर्णिमा पर विशेष पूजा अर्चना होगी। तब तक घर में रहना है और गाइडलाइन को मानना है।

- राजाराम सिघानिया, राउरकेला। हम तो घर में ही सालों भर भगवान की पूजा करते हैं। कभी-कभी मंदिर जाकर आराधना कर लेते हैं। पूरे सावन महीने में दिन में केवल एक बार भोजन ले रहे हैं। भगवान की आराधना को मन से की जाती है। कोरोना के चलते मंदिर में पाबंदी लगी है। ऐसे में सभी लोगों को इसका पालन कर अपने को महामारी से सुरक्षित रखना चाहिए।

- नितिन खेतान, राउरकेला । कोरोना के चलते मंदिर में जाना मना है इस लिए घर में ही तुलसी पर अभिषेक कर रहे हैं। पड़ोस की महिलाएं मिलकर भजन कीर्तन और शिव जी की आराधना चल रही है। सावन में शिवजी की आराधना का विशेष महत्व है। इस लिए कहीं भी उनकी पूजा कर सकते हैं। पहले तो अपने को बीमारी से बचाना है।

- लक्ष्मी शर्मा, राउरकेला। हर साल घोघड़धाम में ही पूजा एवं आराधना होती थी। रुद्राभिषेक के साथ भंडारा का आयोजन भी होता था पर इस साल सरकार की ओर से यहां कांवर यात्रा एवं पूजा पर पाबंदी लगी है। भक्त आकर बाहर से पूजा कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से दिए गए आदेश का पालन करना होगा। इसी में सभी की भलाई है इस लिए घर में पूजा करें।

योगेश डालमिया, राजगांगपुर। भगवान की पूजा हमें मन से करना है। भगवान की भक्ति कहीं भी की जा सकती है। सावन के महीने में शिव पूजा का खास महत्व है। शिव लिग पर अभिषेक किया जाता है पर महामारी के चलते सरकार के निर्देशों का तो पालन करना ही होगा। यह सभी के हित को ध्यान में रखकर किया गया है। पूजा के लिए अपने को खतरे में नहीं डाला चाहिए।

- अजय साहू, राजगांगपुर। सावन के महीने में शिवजी की पूजा का खास महत्व है। इस महीने में पूजा अर्चना के साथ लोग मन्नत भी मांगते हैं एवं इसके पूरा होने पर शिवालयों में प्रसाद चढ़ाने के साथ साथ भंडारा का भी आयोजन होता था। हम सभी इसमें शामिल होते थे। इस साल सारे कार्यक्रम स्थगित हैं। अच्छा समय आने पर सब किया जाएगा।

- कुलदीप सिंह, राजगांगपुर।

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