एनजीटी पहुंचा बिजली बांध का मामला

जिला खनिज कोष से 32 करोड़ की लागत पर शुरू हुआ सुंदरगढ़ बिजली बांध के सौदर्यीकरण व विकास का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल (एनजीटी) में पहुंच गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 09:53 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 09:53 PM (IST)
एनजीटी पहुंचा बिजली बांध का मामला
एनजीटी पहुंचा बिजली बांध का मामला

जागरण संवाददाता, राउरकेला : जिला खनिज कोष से 32 करोड़ की लागत पर शुरू हुआ सुंदरगढ़ बिजली बांध के सौदर्यीकरण व विकास का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल (एनजीटी) में पहुंच गया है। सौंदर्यीकरण के नाम पर जलाशय की रूपरेखा में परिवर्तन व इसमें राशि खर्च करने को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद ट्रिव्यूनल से केंद्रीय जल व ऊर्जा मंत्रालय, राज्य सरकार, सुंदरगढ़ जिलापाल, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य परिवेश प्रभाव आकलन विभाग को नोटिस जारी किया गया है। सभी विभागों को 11 जनवरी 2022 तक रिपोर्ट दाखिल करना है।

करीब 22 एकड़ क्षेत्र में स्थित बिजली बांध एवं पानी वाले क्षेत्र का बड़ा हिस्सा अवैध कब्जे में है। इस बांध के सौदर्यीकरण व विकास के लिए 2017 में तत्कालीन जिलापाल नितिन भारद्वाज के समय जिला खनिज कोष से दो करोड़ से पुनरुद्धार का काम हुआ था। यहां फाउंटेन एवं नौका विहार की व्यवस्था करने की भी योजना थी। उनके तबादले के बाद सुरेन्द्र कुमार मीणा ने कार्यभार संभाला तब बांध से पंक मिट्टी हटाने का काम पूरा किया गया। इस पर जिला खनिज कोष से 1.07 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। जिलापाल निखिल पवन कल्याण के आने के बाद बिजली बांध के सौंदर्यीकरण की बात फिर उठी और इसके लिए जिला खनिज कोष से 25.90 करोड़ रुपये का आकलन किया गया। इसमें म्यूजिकल फाउंटेन, साइकिल मार्ग, सुबह शाम भ्रमण के लिए फुटपाथ, शिशु पार्क, व्यायामशाला, नाट्यशाला निर्माण के साथ इसका कायाकलप करने की योजना बनाई गई। इसके चारों ओर 20 फीसद हिस्से को मिट्टी से भरा गया। इस पर 2.62 करोड़ रुपये खर्च किए गए। शहर के पास स्थित बांध के बड़े हिस्से को मिट्टी से भरा जाना एक तरह का अपराध है एवं वन सुरक्षा कानून के खिलाफ है। इसके 70 मीटर परिधि में किसी प्रकार का निर्माण भी नहीं होना चाहिए। इसका उल्लंघन होने को लेकर एनजीटी की ओर से कार्रवाई हो चुकी है। बिजली बांध को मिट्टी से भरे जाने के दौरान भी इसके खिलाफ आवाज उठाई गई थी। जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों पर मनमानी का आरोप लगाया गया था। मार्च 2021 में राज्य मानवाधिकार आयुक्त विजय पटेल को राजनीतिक दल एवं सामाजिक संगठनों की ओर से बिजली बांध में हो रहे अवैध कार्य की शिकायत कर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। अब एनजीटी ने इस मामले को स्वीकार करने के साथ ही रिपोर्ट मांगे जाने पर संबंधित विभागों की मुश्किल बढ़ गई है।

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