तालचेर-विमलागढ़ रेल मार्ग : 18 साल में महज 33 किलोमीटर बना

ओडिशा के बहुप्रतीक्षित तालचेर-बिमलागढ़ रेल मार्ग को लेकर शासन प्रशासन कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 18 साल में मात्र 33 किलोमीटर ही उक्त रेल मार्ग का निर्माण हो पाया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 10:05 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 10:05 PM (IST)
तालचेर-विमलागढ़ रेल मार्ग : 18 साल में महज 33 किलोमीटर बना
तालचेर-विमलागढ़ रेल मार्ग : 18 साल में महज 33 किलोमीटर बना

जागरण संवाददाता, राउरकेला : ओडिशा के बहुप्रतीक्षित तालचेर-बिमलागढ़ रेल मार्ग को लेकर शासन प्रशासन कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 18 साल में मात्र 33 किलोमीटर ही उक्त रेल मार्ग का निर्माण हो पाया है। आलम यह है कि इतने वर्षों बाद भी 99 किलोमीटर मार्ग के लिए जमीन का अधिग्रहण अबतक नहीं हो पाया है। अनुगुल जिले में आवश्यक 75 फीसद निजी जमीन का अधिग्रहण हुआ है जबकि देवगढ़ और सुंदरगढ़ जिले में अधिग्रहण का काम चल रहा है। 2022 तक रेलवे को जमीन हस्तांतरित किया जाएगा। अनुदान खर्च नहीं हो पाने के कारण 2022-23 में राशि मिलने पर भी आशंका जतायी जा रही है। धीमी गति से काम होने के कारण और दस साल में भी मार्ग का काम पूरा होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।

1955 में राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना जर्मन की सहायता से की गई। तब मुंबई व वाइजग से मशीन राउरकेला लाना पड़ा था जो मुश्किल काम था। इसके लिए जर्मन के इंजीनियरों ने केंद्र सरकार को पारादीप के बंदरगाह को एक प्रमुख बंदरगाह में बदलने और इसे रेलवे से जोड़ने का प्रस्ताव दिया। जर्मन इंजीनियरों ने तालचेर-बिमलागढ़ रेलवे लाइन का कुल 72 किमी तक सर्वे किया। रेलवे लाइन के निर्माण पर 12 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था। हालांकि, प्रस्ताव से इसे रोक दिया गया था। 25 जनवरी 1969 को उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स और ओडिशा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने चौथी पंचवर्षीय योजना के तहत तालचेर-बिमलागढ़ रेलवे लाइन के निर्माण की मांग की। तालचेर-बिमलागढ़ रेलवे लाइन के निर्माण में सहयोग के लिए राउरकेला में एक छात्र कार्रवाई समिति का गठन किया गया था। आंदोलन आज भी जारी है, लेकिन निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। 2001-02 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस 154 किलोमीटर रेल मार्ग के लिए 806.60 करोड़ रुपये का आकलन किया था। 2003-04 में केंद्रीय मंत्री सह सुंदरगढ़ के सांसद जुएल ओराम ने कैबिनेट की बैठक में यह मामला उठाया था। 18 साल में इस योजना के लिए 53 किलोमीटर तक जमीन अधिग्रहण का काम पूरा हुआ जबकि 99 किलोमीटर का काम बाकी है। प्रधानमंत्री कार्यालय की देखरेख में चल रहे इस काम में भी देरी हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से तीन सौ करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है पर राजकोष में यह राशि पड़ी है। इस परियोजना के लिए 2008 एकड़ सरकारी, गैर सरकारी एवं वन जमीन का अधिग्रहण होना है पर अब तक 1507 एकड़ का ही अधिग्रहण हुआ है। 501 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना बाकी है। सुंदरगढ़ की ओर से जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया है। देवगढ़ जिले की स्थिति भी ऐसी ही है। एनटीपीसी निर्माण के लिए 10 किलोमीटर को छोड़ कर 18 साल में केवल 33 किलोमीटर रेल मार्ग का निर्माण हो पाया है। 2012 में इस योजना का काम पूरा होना था। समल पुल के पास 850 मीटर टनल निर्माण का काम भी चल रहा है। उस समय इस योजना पर 806 करोड़ का आकलन किया गया था अब इसका आकलन बढ़ कर तीन हजार करोड़ पहुंच चुका है। 2025 तक इसका काम पूरा होने की बात कही जा रही है पर काम की गति के कारण ऐसा संभव नहीं लग रहा है। रेल परियोजना के लिए मिली राशि

वर्ष करोड़ रुपये में

2004-05 01

2005-06 05

2006-07 10

2007-08 15

2008-09 10

2009-10 20

2010-11 25

2011-12 30

2012-13 40

2013-14 100

2014-15 150

2015-16 180

2016-17 280

2017-18 290

2018-19 150

2019-20 140

2020-21 10

2021-22 100

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