सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया का संकल्प

नगर के सेक्टर-2 स्थित गायत्री शक्तिपीठ अखिल विश्व गायत्री परिवार ही नहीं बल्कि अन्य लोगों का आस्था का केंद्र है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 09:00 AM (IST)
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया का संकल्प
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया का संकल्प

जासं, राउरकेला : नगर के सेक्टर-2 स्थित गायत्री शक्तिपीठ अखिल विश्व गायत्री परिवार ही नहीं बल्कि अन्य लोगों का आस्था का केंद्र है। यहां नवरात्र पर साधकों की भीड़ लगती थी पर इस साल कोरोना संक्रमण के चलते आम भक्तों के प्रवेश पर पाबंदी है। केवल परिवव्रजक व कुछ परिजन ही सुबह शाम मां की आराधना कर रहे हैं। यहां महामंत्र का जाप भी चल रहा है। सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया का संकल्प लेकर यहां पूजा संपन्न करायी जा रही है।

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इतिहास -

गायत्री शक्तिपीठ की प्राण प्रतिष्ठा 31 दिसंबर 1981 को की गई थी। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने खुद अपने हाथों ने इस शक्तिपीठ की स्थापना की थी। तब से ही गायत्री परिवार ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी एवं आठ अन्य ट्रस्टियों व परिवार के सदस्यों के सहयोग से यहां यज्ञ, विभिन्न सामाजिक कार्य, संस्कार आदि का संचालन हो रहा है।

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तैयारियां : नौ दिनों तक एक-एक परिजन 24 हजार गायत्री महामंत्र का लघु अनुष्ठान कर रहे हैं। अस्वाद व्रत का पालन हो रहा है। शक्तिपीठ में महालया के दिन परिजनों ने महामंत्र जाप का संकल्प अपने घरों में ही रहकर करने का लिया। हर सुबह शाम परिव्रजक एवं कुछ परिजन ही यहां मां की आरती व पूजा कर रहे हैं। नवरात्र में नवमी के दिन नौ कन्या पूजन, नव दुर्गा पूजा एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसी दिन पांच कुंडीय यज्ञ के साथ इसका समापन होगा।

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नवरात्र पर ऋतु परिवर्तन होता है जिसके लिए खास तैयारी साधकों को करनी पड़ती है ताकि शरीर स्वस्थ रहे। नौ दिनों तक सात्विक भोजन, जाप एवं ब्रह्माचर्य का पालन कर 24 हजार गायत्री मंत्र जाप का संकल्प लेते हैं। इससे सभी मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

- नित्यानंद दास, ट्रस्टी, गायत्री शक्तिपीठ।

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