25 साल से परिचय ढूंढ रहे एमसीएल से विस्थापित सात सौ परिवार

सुंदरगढ़ जिले के हेमगिर में महानदी कोल फील्ड लिमिटेड (एमसीएल) की ओर से जमीन अधिग्रहण के बाद 1996 से खनन शुरू किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 09:00 AM (IST)
25 साल से परिचय ढूंढ रहे एमसीएल से विस्थापित सात सौ परिवार
25 साल से परिचय ढूंढ रहे एमसीएल से विस्थापित सात सौ परिवार

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के हेमगिर में महानदी कोल फील्ड लिमिटेड (एमसीएल) की ओर से जमीन अधिग्रहण के बाद 1996 से खनन शुरू किया गया है। बसुंधरा पूर्व एवं पश्चिम खान के भीतर चार गांव टिकिलीपाड़ा, सरडेगा, बांकीबहाल व बलिगा के सात सौ से अधिक परिवारों को अपनी जमीन, जीविका, वर्षों पुरानी संस्कृति खोना पड़ा। विस्थापितों को जमीन का पट्टा व अन्य दस्तावेज नहीं मिले हैं। इस कारण 25 साल से वे अपना परिचय ढूंढ रहे हैं। उन्हें सरकारी योजना से भी वंचित होना पड़ रहा है।

एमसीएल बसुंधरा पूर्व एवं पश्चिम खान के बाद 2007 से कुडला खदान का काम चल रहा है। सियारमाल क्षेत्र में 950 मिलियन टन कोयला का भंडार है। बसुंधरा खदान क्षेत्र में टिकलीपाड़ा से 275 परिवार, सरडेगा से 129 परिवार, बांकीबहाल से 80 परिवार तथा बलिगा से 183 परिवार विस्थापित हुए हैं। जमीन अधिग्रहण के समय विस्थापितों से जो वादे किए गए थे वे पूरे नहीं हो पाए हैं। इन लोगों को टिकलीपाड़ा क्षेत्र में बिना किसी दस्तावेज के 10-10 डिसमिल जमीन मिली है पर इसका कोई दस्तावेज उनके पास नहीं है। विभिन्न प्रमाणपत्र के लिए सरकारी कार्यालय में जाने पर उन्हें जमीन का पट्टा मांगा जा रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है। यहां ओडिशा पुनर्वास कानून-2006 के अनुसार किसी परिवार को राज्य सरकार से स्वीकृति नहीं दी गई है। जिला प्रशासन की ओर से उनके लिए कोई योजना तथा किसी प्रकार का परामर्श नहीं दिया गया है। विस्थापितों को लिए पुनर्वास एवं पारिपा‌िर्श्वक विकास सलाहकार कमेटी (आरपीडीएसी) की बैठक भी नहीं हुई है। यह क्षेत्र आदिवासी अधिसूचित क्षेत्र में होने के बावजूद ग्राम सभा में योजना की स्वीकृति नहीं ली गई है। ओडिशा पुनर्वास कानून-2006 एवं जमीन अधिग्रहण कानून-2013 के अनुसार पुनर्वास न करने एवं फिर से विस्थापित परिवारों को 50 फीसद मुआवजा देने के लिए भी परिवारों की सूची नहीं बनायी गई है। इनकी जमीन पर 25 साल से खनन हो रहा है एवं करोड़ों का राजस्व सरकार को मिल रहा है पर विस्थापित परिवारों की समस्या पर विचार नहीं होने से उनमें काफी रोष है।

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