विज्ञानी मनोवृत्ति से ही विज्ञान की शिक्षा सार्थक

विज्ञानी मनोवृत्ति का मतलब होता है प्राकृतिक विज्ञान के अलावा अन्य क्षेत्रों में विज्ञानी तरीकों का उपयोग करना।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:03 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:03 PM (IST)
विज्ञानी मनोवृत्ति से ही विज्ञान की शिक्षा सार्थक
विज्ञानी मनोवृत्ति से ही विज्ञान की शिक्षा सार्थक

विज्ञानी मनोवृत्ति का मतलब होता है प्राकृतिक विज्ञान के अलावा अन्य क्षेत्रों में विज्ञानी तरीकों का उपयोग करना। विज्ञानी मनोवृत्ति मानव व्यवहार में परिवर्तन लाता है और इसलिए यह प्राकृतिक विज्ञान का हिस्सा नहीं है। यह प्राकृतिक विज्ञान का अध्ययन करने से नहीं बल्कि विज्ञानी तरीकों को मानव व्यवहार में अमल करने से मजबूत होता है। सभी छात्रों में विज्ञानी मनोवृत्ति को मजबूत करने के लिए उनके पाठ्यक्रम में सामाजिक विज्ञान और मानविकी को शामिल करने की आवश्यकता है तभी शिक्षा सार्थक हो सकती है।

विज्ञानी मनोवृति एक मनोवैज्ञानिक रवैया है। यह रो•ामर्रा से प्रभावित नहीं होता बल्कि इसके लिए अपने मूल्यों और नैतिकता के ढांचे में बदलाव की जरूरत होती है। विज्ञान का अध्ययन अंधविश्वास को कम करता है और विज्ञानी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। विज्ञानी मनोवृत्ति से ही अंधविश्वास, जातिवाद, लिगवाद और अन्य अवांछनीय गुण को दूर किया जा सकता है। भारत में यह अभी भी काफी हद तक परिवार और समाज द्वारा तय किया जाता है। यह कई व्यक्तियों, विज्ञानियों और गैर-विज्ञानियों दोनों का अवलोकन है। अधिकतर मूल्य और विवेक प्राकृतिक विज्ञान से अलग हैं। हमारे व्यवहार और रवैये को काफी हद तक हमारा नैतिक मूल्यों का ढांचा तय करता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण जीवन और पर्यावरण में बड़े स्तर पर हुए बदलावों ने अंधविश्वासों को कम कर दिया है। विज्ञान स्मृति, ज्ञान, व्यवहार, मूल्य, नजरिया आदि का संग्रह है और यही वह चीज है जो किसी व्यक्ति के विचारों और क्रियाओं को दिशा देती है। जब हम बाहर की ओर बढ़ते हैं, दुनिया में अवास्तविक सपने और कल्पनाएं है, स्वाद और पसंद हैं, जिनमें से कई को व्यक्त भी नहीं किया जा सकता। भौतिक शास्त्र और अन्य प्राकृतिक विज्ञानों की दुनिया है। विज्ञान बाहरी दुनिया से संबंधित है और यह हमारे ज्ञान के साथ-साथ इसके कानून व विकास का भी निर्धारण करता है। सरल शब्दों में कहें तो यह अंतर दुनिया के उन गुणधर्मों के बीच है जो प्रेक्षक से स्वतंत्र हैं और जो प्रेक्षक पर निर्भर हैं। भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान जैसे प्राकृतिक विज्ञान, प्रकृति के ऐसे गुणधर्मों की बात करते हैं, जिनका अस्तित्व इस बात से स्वतंत्र हैं कि हम क्या सोचते हैं। दुनिया में मानविकी, कला, सामाजिक विज्ञान और वे सभी क्षेत्र शामिल हैं जो प्राकृतिक विज्ञान के बाहर हैं। हालांकि यह आंतरिक दुनिया विज्ञान का हिस्सा नहीं है, कितु विज्ञानी विधि, यानी तर्क और विचार, यहां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वास्तविक दुनिया में विशेषज्ञ अधिकारी की स्वीकृति, मात्र वैधता पर आधारित नहीं होती। यह विचार के प्रवर्तक के व्यक्तित्व, सामाजिक महत्व और उसकी ताकत का मिश्रण है। इसलिए तर्क, वास्तविकता से सम्बंध और यथासंभव विज्ञानी पद्धति का इस्तेमाल ही हमें बता सकता है। व्यक्तिगत नैतिक निर्णयों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए। विज्ञानी दृश्टिकोण में किसी समस्या को समझना, विभिन्न विकल्पों पर विचार करना और फिर निर्णय लेना शामिल है। दुनिया भर में प्राकृतिक विज्ञान में विज्ञान शिक्षण, काफी हद तक कौशल और स्वीकृत विचारों का प्रसारण है। दरअसल, उपयुक्त विकल्प चुनने तथा विज्ञानी मनोवृत्ति पैदा करने का काम तो सामाजिक विज्ञान करता है। वर्तमान में विज्ञान के छात्रों के पाठ्यक्रम में सामाजिक विज्ञान की कमजोर हो रही भूमिका उन्हें नैतिक मुद्दों को संभालने तथा अखबारों और मीडिया में उनके बारे में निर्णय लेने या लिखने के लिए अच्छी तरह से तैयार नहीं कर रही है। लिहाजा, सार्थक शिक्षा के लिए प्रत्येक छात्र के पाठ्यक्रम में विज्ञानी मनोवृत्ति को शामिल करना आवश्यक है।

-नमिता महापात्र, प्रधानाध्यापिका डीएवी सरकारी उच्च विद्यालय, राउरकेला।

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