सिविल टाउनशिप में जमीन नीलामी पर लगी रोक

नीलामी के जरिए राउरकेला सिविल टाउनशिप में 46 प्लॉट मुहैया कराने के लिए राउरकेला विकास प्राधिकरण (आरडीए) की ओर से विज्ञप्ति जारी की गई थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 09:48 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 09:48 PM (IST)
सिविल टाउनशिप में जमीन नीलामी पर लगी रोक
सिविल टाउनशिप में जमीन नीलामी पर लगी रोक

जागरण संवाददाता, राउरकेला : नीलामी के जरिए राउरकेला सिविल टाउनशिप में 46 प्लॉट मुहैया कराने के लिए राउरकेला विकास प्राधिकरण (आरडीए) की ओर से विज्ञप्ति जारी की गई थी। इससे केवल संपन्न तथा पूंजीपतियों को ही लाभ मिलता। राउरकेला वकील संघ समेत अन्य संगठनों की ओर से इसका विरोध करने के साथ ही यहां फ्लैट तैयार कर मुहैया कराने से सरकार को अधिक राजस्व मिलने का तर्क दिया गया था तथा इससे अधिक लोगों को सुविधा देने की मांग की गई थी। आरडीए के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर कोर्ट ने रोक लगा दिया है जिससे आरडीए को झटका लगा है।

सिविल टाउनशिप में 46 प्लॉट बनाकर उसे नीलाम करने के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। 3750 वर्गफूट जमीन के लिए न्यूनतम मूल्य 1.29 करोड़ रखा गया था। निर्धारित दर से अधिक मूल्य देने वालों को ही जमीन देना था। आरडीए का राजस्व बढ़ाना इसका उद्देश्य बताया गया था। इतना अधिक दाम देकर आम लोगों के लिए जमीन लेना संभव नहीं था। इस कारण बुद्धिजीवी व वकील संघ की ओर से इसका विरोध किया गया था तथा फैसले पर सवाल उठाए गए थे। ओडिशा सरकार भूमि आवंटन कानून का उल्लंघन तथा आरडीए की नीलामी उसके क्षमता क्षेत्र के बाहर बताया गया था क्योंकि यह आरडीए की नहीं बल्कि लैंड एलॉटमेंट कमेटी ही जमीन दे सकती है। आरडीए लैंड एलाटमेंट कमेटी का सदस्य नहीं है। अधिवक्ता प्रदीप जेना, विजय कुमार प्रधान, सिप्रारानी सामल, भाग्यश्री पाणीग्राही, राजकुमार दास, शिवानी त्रिपाठी, विनोद विहारी राउत, भोला रजक आदि की ओर से जमीन पर फ्लैट बनाकर आवंटित करने की मांग की थी। अधिवक्ताओं की ओर आरडीए की नीलामी को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।

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