रेलवे को सता रहा यात्रियों के विरोध का भय, जानें क्या है मामला

ओडिशा में बंद के दौरान रेल का रूट परिवर्तन की मांग पर यात्रियों का विरोध काफी बढ़ रहा है इस मामले में रेलवे ने मंत्री जुएल ओराम से बातचीत की।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 12:25 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 12:25 PM (IST)
रेलवे को सता रहा यात्रियों के विरोध का भय, जानें क्या है मामला
रेलवे को सता रहा यात्रियों के विरोध का भय, जानें क्या है मामला

राउरकेला, जेएनएन। नक्सलियों का बंद, राजनीतिक दलों व संगठनों के भारत बंद के दौरान भी रेल चलाने का दमखम रखने वाली रेलवे पर किसी ट्रेन के संप्रसारण या रूट परिवर्तन की मांग पर यात्रियों के विरोध का भय सिर चढ़कर बोल रहा है। भुवनेश्वर-आनंद विहार संपर्क क्रांति को मौजूदा रूट की जगह राउरकेला-झारसुगुड़ा रूट पर चलाने की मांग पर रेलवे ने अपने इसी भय से ओडिशा के सुंदरगढ़ लोकसभा सांसद सह पूर्व केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम को भी अवगत कराया है।

उल्लेखनीय है कि विगत दिनों झारखंड की राजधानी रांची में दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन के दायरे में आने वाले सभी लोकसभा सांसदों की बैठक रेलवे के साथ हुई थी। बैठक में सुंदरगढ़ सांसद जुएल ओराम भी शामिल हुए थे। इस बैठक में सांसदों की रेलवे से जुड़ी सभी मांगों की यथास्थिति से रेलवे ने अवगत कराया था। जिसमें सांसद जुएल ओराम की भी रेलवे से जुड़ी 28 मांगें शामिल हैं। इनमें से कई मांगों पर रेलवे ने हरी झंडी दिखाने, प्रस्ताव नोट करने अथवा संबद्ध रेलवे जोन को अग्रप्रेषित करने की जानकारी दी है। लेकिन एक मांग को पूरी करने में रेलवे ने सात स्थानों के यात्रियों के प्रबल विरोध का भय दिखाकर अपनी हिचकिचाहट दर्शायी है। 

यह मांग थी ट्रेन क्रमांक-12819-12820 भुवनेश्वर आनंद विहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को वाया राउरकेला- झारसुगुड़ा से होकर चलाने की। जिसमें सांसद ओराम ने तर्क दिया था कि वर्तमान में यह ट्रेन वाया खडगपुर-टाटा होकर चलती है। जिसमें केवल पूर्वी ओडिशा को ही लाभ मिलता है। यदि यह ट्रेन वाया राउरकेला-झारसुगुड़ा होकर चले तो इसका लाभ पूरे ओडिशा के यात्रियों को मिलेगा तथा यह इस ट्रेन के नाम संपर्क क्रांति को सार्थक भी करेगा। लेकिन इस मांग पर रेलवे ने अपना जवाब रखा है कि इस ट्रेन का रूट बदलने से उन सात स्थानों के यात्रियों के प्रबल विरोध का भय है, जहां से होकर यह ट्रेन गुजरती है। रेलवे के इस भीरू रवैये पर अब यह सवाल उठता है कि यदि किसी स्थान के यात्री विरोध करें तो क्या रेलवे किसी जनप्रतिनिधि की न्यायोचित मांग पूरी करने में भी अपने कदम पीछे खींच सकती है। 

यह सात स्थान हैं

ओडिशा के जाजपुर- क्योंझर रोड, भद्रक, सोरो, बालेश्वर, जलेश्वर, पश्चिम बंगाल के हिजली और झारखंड का टाटानगर।  

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