शहर में देसी पिस्तौल की भरमार, पुलिस बेखबर
जिला पुलिस के अंर्तगत आने वाले विभिन्न थाना अंचल में देसी पिस्तौल की भरमार है। इसके बावजूद राउरकेला पुलिस पिस्तौल लाने वालों से लेकर इसे रखने वालों का पहले से ना तो पता लगा पा रही और ना ही पिस्तौल की खरीद-फरोख्त से जुड़े लोगों को गिरफ्तार ही किया जा सका है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : जिला पुलिस के अंर्तगत आने वाले विभिन्न थाना अंचल में देसी पिस्तौल की भरमार है। इसके बावजूद राउरकेला पुलिस पिस्तौल लाने वालों से लेकर इसे रखने वालों का पहले से ना तो पता लगा पा रही और ना ही पिस्तौल की खरीद-फरोख्त से जुड़े लोगों को गिरफ्तार ही किया जा सका है। इतना ही नहीं गोरे की हत्या में प्रयुक्त दो देसी पिस्तौल से कितनी गोलियां दागी गई, इसका भी खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि एसपी ने मीडिया को बताया कि एक देसी पिस्तौल और एक जीवित कारतूस आमिर खान के पास से और दूसरी पिस्तौल अरमान कुरैशी के पास से बरामद की गई है।
इसका उदाहरण 10 सितंबर को रेलवे कालोनी निवासी जीतेंद्र साह उर्फ गोरे की गोली और चापड़ से हमला कर हत्या और 29 अगस्त की शाम को बंड़ामुंड़ा थाना अंर्तगत बंडामुंडा रेलवे हाईस्कूल मैदान में शीतलनगर निवासी टी चिरंजीवी राव उर्फ माता पर बदमाशों ने गोली मार कर फरार हो गए थे। इससे स्पष्ट होता है कि शहर में देसी पिस्तौल लोग घरों में रखने के साथ ही कुछ होने पर इसका व्यवहार धड़ल्ले से कर रहे हैं। लेकिन अभी तक पुलिस शहर लोगों को देसी पिस्तौल कहां से और कैसे उपलब्ध हो रही है, इसका पता लगाने में विफल साबित हो रही है। काबिलेगौर बात यह है कि शहर में आपराधिक गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए एसपी मुकेश कुमार भामो के द्वारा गठित स्पेशल टीम भी इस बारे में चुप्पी साधे हुए है।
एसपी को कहना पड़ा था अब शहर में ऐसा नही होगा : विगत 10 सितंबर को जीतेंद्र साव उर्फ गोरे पर जानलेवा हमला के बाद रात 10 बजकर 45 मिनट पर एसपी कार्यालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया था। जो शहर में पुलिस विभाग की ओर से पहली बार इस तरह आधी रात को प्रेस वार्ता का आयोजन करना पड़ा था। इस दौरान मीडिया को संबोधित करते एसपी ने कहा था कि गोरे पर पुरानी रंजिश के कारण जानलेवा हमला किया गया। एसपी ने मीडिया से पहले की तरह सहयोग मांगा तथा मीडिया को यह भी कहा अब से शहर में ऐसा नहीं होगा। शहर में अपराधियों पर नकेल कसने के तरीके में काफी बदलाव लाने की भी बात एसपी ने कही थी। इससे साफ पता चलता है कि उनके विभाग के अधिकारी ही एसपी को गुमराह तो नही कर रहे है? या फिर शहर के थाना अधिकारी भी पिस्तौल रखने से लेकर खरीद-फरोख्त का काम करने वाले लोगों को पकड़ने में विफल हैं जिसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं, यह मंथन का विषय है।
राउरकेला पुलिस के नेटवर्क पर भी सवाल : अगर शहर में बड़ी वारदात होने के बाद एसपी खुद मामले की जांच करते हैं तो अपराधी शीघ्र पकड़े जाते हैं। और थाना अधिकारी करते है तो समय लगता है। इससे सवाल उठ रहा है कि राउरकेला पुलिस के खबरियों का नेटवर्क कमजोर तो नही हो गया। जिसके कारण इसका फायदा शहर के अपराधियों को मिल रहा है।