एनओसी में फंसी पेंशन, दफ्तर के चक्कर काट रहे सेवानिवृत्त शिक्षक

सेवानिवृत होने के कई माह गुजर जाने के बावजूद अब तक दर्जनों शिक्षक-शिक्षिकाओं को अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं मिल पाया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 09:26 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 09:26 PM (IST)
एनओसी में फंसी पेंशन, दफ्तर के चक्कर काट रहे सेवानिवृत्त शिक्षक
एनओसी में फंसी पेंशन, दफ्तर के चक्कर काट रहे सेवानिवृत्त शिक्षक

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सेवानिवृत होने के कई माह गुजर जाने के बावजूद अब तक दर्जनों शिक्षक-शिक्षिकाओं को अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं मिल पाया है। इस कारण उन्हें पेंशन मिलने में दिक्कत हो रही है। बिसरा प्रखंड में यह समस्या चरम पर है।

जानकारी के अनुसार, साल 2020 में बिसरा प्रखंड शिक्षा विभाग के अधीन कार्यरत 64 शिक्षक सेवानिवृत हुए थे। इसमें से अब तक 34 शिक्षकों को ही एनओसी मिली है। जबकि बाकी 33 लोगों को अब तक एनओसी नहीं मिल पायी है। नियमानुसार सेवानिवृत्त होने के एक माह के भीतर प्रखंड शिक्षा अधिकारी को उन्हें एनओसी देना चाहिए। एनओसी पाने के बाद ही वे जिला शिक्षा अधिकारी के पास आवेदन कर पाएंगे। इसके अलावा शिक्षक को सेवानिवृत्त होने के दिन ही एनओसी दी जा सकती है। इसके लिए सेवानिवृत्त होने के 4 माह पूर्व जरूरी कदम उठाने पड़ते है। लेकिन इस क्षेत्र में बिसरा प्रखंड शिक्षा विभाग की उदासीनता जग जाहिर है। इस प्रखंड में सेवानिवृत्त होने के कई माह बीत जाने के बावजूद जब सेवानिवृत्त शिक्षकों को एनओसी नहीं दी गई है तब सेवानिवृत्त वाले दिन इसकी आशा करना बेमानी है।

इसके अलावा शिक्षकों के प्रतिनियुक्ति को लेकर भी कई अनियमितता की बात सामने आई है। सालों से इस प्रखंड के कई शिक्षक अन्य प्रखंडों के स्कूलों में प्रतिनियुक्ति में गए हुए हैं। लेकिन अब तक वे अपने मूल स्कूलों में नहीं लौट पाए हैं। वर्तमान उक्त शिक्षा प्रखंड के 23 शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रतिनियुक्ति पर है। साल 2018 से साल 2020 के भीतर इन्हें दूसरे प्रखंड के स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। इसमें से 21 शिक्षक जिला शिक्षा अधिकारी व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर प्रतिनियुक्ति पर गए हुए हैं। लेकिन 2 शिक्षिकाएं किस के निर्देश पर प्रतिनियुक्ति पर गई हैं यह तथ्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के पास नहीं है। शिक्षिकाओं को किसने प्रतिनियुक्ति पर भेजा, यह सवाल बना हुआ है। यदि डेपुटेशन का निर्देश नहीं है तो उन्हें मूल स्कूलों पर क्यों वापस नहीं बुलाया जा रहा है।

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