आर्थिक संकट में राष्ट्रीय मुक्केबाज रामेश्वर रायगुरु

राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में कई पदक हासिल कर चुके मुक्केबाज रामेश्वर रायगुरु की आर्थिक हालत दयनीय है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 07:22 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 07:22 AM (IST)
आर्थिक संकट में राष्ट्रीय मुक्केबाज रामेश्वर रायगुरु
आर्थिक संकट में राष्ट्रीय मुक्केबाज रामेश्वर रायगुरु

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में कई पदक हासिल कर चुके मुक्केबाज रामेश्वर रायगुरु की आर्थिक हालत दयनीय है। माता-पिता का देहांत हो चुका है। परिवार में पत्नी तपस्विनी पक्षाघात का शिकार हैं। आर्थिक तंगी के चलते चाय बेच कर आजीविका चलाते थे पर कोरोना के चलते वह भी बंद है। झीरपानी में अब एक भाड़े के घर में रह रहे हैं। रामेश्वर 1986 से 1993 तक राज्य के श्रेष्ठ मुक्केबाज रहकर दर्जनों पदक लिए पर उन्हें न तो आरएसपी और न ही सरकार से ही मदद मिली।

रामेश्वर ने 1986 में मुंबई में जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। 1988 में पंजाब, 1989 में मेघालय, 1990 में कोलकाता, 1991 में हिमाचल प्रदेश,1992 में बिहार, 1993 में आंध्रप्रदेश में आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा 1981 से 1991 तक दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हरियाणा आदि राज्यों में राउरकेला इस्पात संयंत्र की टीम का प्रतिनिधित्व किया। राउरकेला इस्पात संयंत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन स्वर्ण, तीन रजत, चार कांस्य पदक जीते। 1991 में मद्रास में फेडरेशन कप मैच के दौरान बायीं आंख में मुक्का पड़ने पर गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इसके बावजूद उस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद भी खेल जारी रहा एवं पदक जीते। बाद में आंख का आपरेशन कराना पड़ा। राउरकेला इस्पात संयंत्र की टीम से वर्षों तक प्रतिनिधित्व करने के बाद भी इलाज के लिए चिकित्सा सुविधा नहीं दी गई। संयंत्र की ओर से नियुक्ति का अनुरोध करने के बावजूद यह नहीं हुआ। गरीबी के कारण गजपति मार्केट में चाय की दुकान खोलकर परिवार का भरण पोषण करना पड़ा। वर्तमान कोरोना काल में वह भी बंद हो गया। इसी समय पत्नी बीमार पड़ी और वह पक्षाघात का शिकार हो गई एवं उसका स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है। चिकित्सक दूसरे अस्पताल में जांच कराने का परामर्श दे रहे हैं पर इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। आरएसपी व ओडिशा का गौरव बढ़ाने वाले रामेश्वर को किसी तरह की सुविधा नहीं मिल पाने पर खिलाड़ियों के प्रति सरकार के संवेदनहीनता उजागर हो रही है।

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