मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में अब पहल शुरु, बन रहा मास्टर प्लान

ओडिशा के साथ-साथ सुंदरगढ़ जिले में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए अगले तीन वर्षो का एक मास्‍टर प्‍लान तैयार किया जा रहा है। पिछले सात साल में जिले में 35 हाथियों की मौत हो चुकी है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 12:18 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 12:18 PM (IST)
मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में अब पहल शुरु, बन रहा मास्टर प्लान
मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में पहल शुरु

 राउरकेला, कमल विश्वास। पूरे ओडिशा के साथ-साथ सुंदरगढ़ जिले में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में अब पहल शुरु की गई है। इसके तहत अगले तीन वर्षों का एक मास्टर प्लान तैयार करने के लिए राज्य-स्तरीय टास्क फोर्स का गठन सरकार द्वारा किया। मानव-हाथी संघर्ष ज्यादातर मामले जाजपुर, ढेंकनाल, खुर्दा और सुंदरगढ़ जिले के वन प्रभागों में देखा जाता है। और इस घटना के पीछे के कारण जंगल के स्तर का सिकुड़ना, जंगलों के पास बढ़ती गतिविधियां और हाथी आवास के करीब मानव निवास होना है। वन विभाग द्वारा दिए गए एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात साल में जिले में 35 हाथियों की मौत हुई है। सुंदरगढ़ जिले के तीन वन खंडों से तीन साल के भीतर 72 हाथी लापता हो गए है। 

वन विभाग द्वारा दिया जाएगा सुझाव 

राज्य स्तरीय टास्क फोर्स ने मानव व पशु संघर्ष को कम करने के लिए जिले के तीनों डिवीजन में किस तरह के उपाए कारगर होंगे, इसके सुझाव मांगे है। ताकि उसी के आधार पर योजनाओं की रूप रेखा तैयार की जा सके। मास्टर प्लान के अनुसार विभिन्न योजनाओं का धन इसमें खर्च किया जाएगा। इसके अलावा कैंपा, मनरेगा व डीएमएफ फंड को भी प्रभावि ढंग से सुरक्षात्मक उपायों के लिए उपयोग किया जाएगा। रेलवे, एनएच, राज्य राजमार्ग, सिंचाई, बिजली वितरण कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर डीएफओ, सर्कल, डिवीजन स्तर पर नियमित निगरानी और समीक्षा की संस्थागत व्यवस्था की जाएगी। सुंदरगढ़ जिले में हर साल अलग-अलग कारणों से आधे दर्जन हाथियों की मौत हो जाती है। जबकि हाथियों के हमले में एक दर्जन के करीब लोग हर साल अपनी जान गंवाते है।

 सीमाएं होगी परिभाषित

मानव उपयोग क्षेत्र और हाथी निवास क्षेत्र के बीच की सीमाएं होगी परिभाषित इसे लेकर वन विभाग अपनी रिपोर्ट तैयारी करनी शुरु कर दी है। जिसमें जिले के मानव उपयोग क्षेत्र और हाथी निवास क्षेत्र के बीच की सीमाओं को अलग से परिभाषित किया जा रहा है। मानव उपयोग और हाथी निवास क्षेत्रों के बीच, विशेष रूप से स्पष्ट नहीं होने वाली तथा दूर तक फैला सीमा के बारे में जानकारी तैयार की जा रही है। निवारक उपाय क्या होंगे जिससे मानव आवादी वाले गांव, कृषि और शहरी क्षेत्रों में हाथी का प्रवेश रोका जा सके। पहले से ही जिन मानव उपयोग क्षेत्र में हाथियों का प्रवेश होता रहा है, वहां किन तकनीकों का उपयोग हाथियों को मानव आबादी से दूर भगाने के लिए किया जाता रहा है। 

 वन संसाधन कम वाले स्थान का होगा चयन 

किन-किन जगहों वन संसाधनों की कमी है, जिसके कारण पास के फसलों को खाने के लिए अमूमन हाथी आते है। विभाग यह भी रिपोर्ट देगी कि हाथियों ने किन जगहों वन संपदा उपलब्धता के बावजूद आकर्षित होकर फसलों नुकसान पहुंचाते है। प्रशिक्षित हाथियों को हाथी खदेड़ने के लिए कहां-कहां इस्तेमाल किया जाता है तथा इसके क्या फायदे मिले है। हाथी प्रवासी प्रजाति में गिना जाता है और आम तौर पर पारिस्थितिक स्थितियों के आधार पर सालाना एक ही प्रवासी मार्गों का पालन करें। ऐसे में हाथियों का मौसमी प्रवास कहां-कहां पर रहता है।

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