फाइल में सिमट कर रह गई ईव नदी बांध परियोजना

छत्तीसगढ़ के कुनकुरी से सुंदरगढ़ झारसुगुड़ा होकर लखनपुर में महानदी में मिलने वाली ईव नदी दो जिलों की जीवनरेखा मानी जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 07:01 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 07:01 AM (IST)
फाइल में सिमट कर रह गई ईव नदी बांध परियोजना
फाइल में सिमट कर रह गई ईव नदी बांध परियोजना

जागरण संवाददाता, राउरकेला : छत्तीसगढ़ के कुनकुरी से सुंदरगढ़, झारसुगुड़ा होकर लखनपुर में महानदी में मिलने वाली ईव नदी दो जिलों की जीवनरेखा मानी जाती है। बारिश के दिनों में इस नदी में बाढ़ आती है जबकि गर्मी में सूख जाती है। छत्तीसगढ़ में बांध होने के कारण निचले इलाके में पानी कम आ रहा है। वर्ष 2005 से ही छत्तीसगढ़ का पानी पर कब्जा होने के कारण सुंदरगढ़ शहर में वर्तमान में पेयजल संकट है। सुंदरगढ़ में इस नदी पर बांध निर्माण से न केवल इस समस्या का समाधान होगा बल्कि इलाके के किसानों को सिचाई के लिए पानी भी मिल सकेगा। चार दशक से यह योजना फाइलों में ही सिमट कर रह गई है।

ईव नदी पर बांध निर्माण के लिए सर्वे, डीपीआर, अनुमोदन प्रक्रिया तक ही सीमित है। 1990 में बालीशंकरा के कटनीडीह के पास जोगजूगेन पहाड़ी के बीच 1200 करोड़ की लागत पर बांध निर्माण की योजना बनी थी। तत्कालीन विधायक गजाधर माझी के द्वारा इस बांध का विरोध किया गया जिससे परियोजना रद कर दी गई। 30 साल बाद सुंदरगढ़ शहर में पेयजल संकट का समाधान तथा 10 हजार हेक्टेयर में सिचाई के लिए 2010-11 में कोपसिगा में चार सौ करोड़ रुपये की लागत पर ईव बैराज निर्माण योजना को जल संसाधन विभाग की स्वीकृति मिली। बाद में कोष का अभाव दिखाकर इसे 50 करोड़ तक सीमित कर दिया गया। यह राशि भी नहीं मिली और योजना फाइलों में ही रह गई। वर्ष 2016 में तत्कालीन जिलापाल भूपिदर सिंह पुनिया ने तीन करोड़ रुपये की लागत पर एक चेकडैम निर्माण की योजना नगर पालिका को दी थी पर यह काम नहीं हुआ। 17 मार्च 2017 में जिला प्रशासन की ओर से छोटे कंक्रीट डैम निर्माण का प्रस्ताव दिया गया। इसके सर्वे के लिए 30.30 लाख रुपये व्यय का आकलन किया गया पर इसका काम भी आगे नहीं बढ़ा। जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना में ईव नदी पर दरबार घाट में बांध निर्माण का प्रस्ताव दिया गया तथा जिलापाल से जिला खनिज कोष से राशि मुहैया कराने का अनुरोध किया गया। डीएमएफ से 66.74 लाख रुपये मिलने के बाद ईव अनुसंधान विभाग की ओर से रिपोर्ट दी गई पर दरबार घाट में बालू अधिक होने एवं बांध निर्माण का लाभ नहीं मिलने की बात दर्शाने के कारण तकनीकी कमेटी ने परियोजना को रद कर दिया। ईव नदी पर ढाई हजार करोड़ की लागत पर तेलीजोर में डैम बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया था। तकनीकी अनुमोदन के बाद नवंबर 2019 में जिलापाल निखिल पवन कल्याण ने जिला खनिज कोष से 68.1 करोड़ की स्वीकृति देकर सिचाई विभाग को इसके टेंडर का निर्देश दिया। टेंडर होने से पहले विधायक कुसुम टेटे के प्रस्ताव पर सिचाई विभाग की ओर से 217 करोड़ की एक और परियोजना प्रस्तुत किया गया पर यह भी फाइलों में सिमट कर रह गई।

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