सुखी दांपत्य जीवन के लिए सुहागिनें रखेंगी करवा चौथ का व्रत
दुर्गोत्सव के बाद करवाचौथ प्रमुख त्योहारों में से एक है। कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को देशभर में करवा चौथ पर्व मनाया जाता है।
संसू, बंडामुंडा : दुर्गोत्सव के बाद करवाचौथ प्रमुख त्योहारों में से एक है। कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को देशभर में करवा चौथ पर्व मनाया जाता है। बंडामुंडा में भी इस त्योहार का खासा उत्साह देखने को मिलता है। सुहागिनों के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, यश कीर्ति व सफल दांपत्य जीवन की कामना लेकर दिनभर का निर्जला उपवास करती हैं।
संध्या में चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण होता है। यही ऐसा व्रत है जो सुहागिन महिलाएं करती हैं। इस बार करवाचौथ 24 अक्टूबर को है। त्योहार में अब शेष एक दिन ही बचे है। घरों में पूजा की तैयारी चल रही है। खासकर पहली बार व्रत रखने वाली नवविवाहिताओं में खासा उत्साह देखने को मिल रही है। हालांकि, हर आयु वर्ग की महिलाएं अपने-अपने अंदाज में त्योहार मनाने में जुटी हुई है। करवाचौथ के दिन चंद्रदेव के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित पूरे परिवार की विशेष पूजा अर्चना होती है। विशेषकर भगवान गणेश के भाल चंद्र रूप की पूजा अर्चना होती है। रात में चंद्रदेव को अघर्य देने के उपरांत ही जल ग्रहण किया जाता है। इस दौरान महिलाएं निराहार रहती हैं। पंडित महेंद्र मिश्रा के अनुसार करवाचौथ का व्रत हर आयु वर्ग की सुहागिन महिलाएं रख सकती हैं। करवा चौथ को लेकर मन में काफी उत्साह है। पूजा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। ससुराल और मायके से तो तोहफा मिलेगा ही अपने हिसाब से भी जमकर खरीददारी हुई है।
निधि शुक्ला। ऐसे तो प्रति पल अपने सुहाग के सलामती की कामना करती हूं।लेकिन करवा चौथ के दिन विधि-विधान पूर्वक व्रत करती हूं। पति से आशीर्वाद लेने के बाद व्रत पूरी करूंगी।
प्रिया दुबे। इस दिन को बेहतरीन तरीके से सेलिब्रेट करूंगी। जमकर खरीददारी हो चुकी है। करवाचौथ के दिन पूरा परिवार एकसाथ खुशियां मनाएंगे।
सुस्मिता गोयल। शादी के प्रथम करवाचौथ में जो उत्साह था वही उत्साह आज भी है। समय के साथ परंपराएं कहीं न कहीं और मजबूत हुई है। त्योहार ग्लोबल हुए हैं। पहले यह पर्व कुछ खास वर्ग तक ही सीमित था। अब हर ओर त्योहार की खुशियां देखने को मिलता है।
-मंजू गोयल।