हाथियों ने झोपड़ी तोड़ी, पांच अनाथ बच्चों पर आफत

कोइड़ा ब्लाक के कंतरकोइड़ा गांव में टीबी से पीड़ित पिता की मौत के कुछ महीने बाद पांच मासूम पुत्र पुत्रियों को छोड़ कर मां भी भाग गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 09:47 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 09:47 PM (IST)
हाथियों ने झोपड़ी तोड़ी, पांच अनाथ बच्चों पर आफत
हाथियों ने झोपड़ी तोड़ी, पांच अनाथ बच्चों पर आफत

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोइड़ा ब्लाक के कंतरकोइड़ा गांव में टीबी से पीड़ित पिता की मौत के कुछ महीने बाद पांच मासूम पुत्र पुत्रियों को छोड़ कर मां भी भाग गई। 13 साल की बड़ी बहन सरस्वती पर चार भाई-बहनों का बोझ है। वह होटल में बर्तन धोकर परिवार का भरण पोषण करती है। रविवार की रात को दंतैल हाथी ने उनकी झोपड़ी को भी तोड़ दिया जिससे वे अब बेघर हो गए थे। वन विभाग की टीम वहां पहुंचकर उनकी झोपड़ी को ठीक कराने के साथ ही दस हजार रुपये आर्थिक मदद दी गई है। सरकारी योजनाओं से वंचित बच्चों की मदद के लिए प्रशासन की ओर से तत्परता दिखाई है।

कोइड़ा ब्लाक मुख्यालय से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित कंइतर कोइड़ा गांव निवासी धनु नायक पत्नी मालती एवं पांच बच्चे सरस्वती, पार्वती, बसंत, कृष्ण व रथा थे। तीन साल पहले धनु नायक की टीबी बीमारी के चलते मौत हो गई। पति की मौत के बाद मालती कुछ दिनों तक बच्चों के साथ लेकर रही फिर उन्हें छोड़ कर दूसरे के साथ भाग गई। माता पिता के नहीं रहने पर बड़ी बेटी 13 साल की सरस्वती पर परिवार का पूरा बोझ आ गया। बारिश के चलते उनकी मिट्टी की दीवार वाली झोपड़ी टूट गई थी। बच्चों के रहने के लिए घर नहीं होने के कारण पड़ोसी नील नायक ने उन्हें एक कमरा रहने के लिए दिया था। पांचों बच्चे किसी तरह उस कमरे में रह रहे थे। बड़ी बहन सरस्वती परिवार के भरण पोषण के लिए होटल में बर्तन धोने का काम करती है। खुद दिन रात मेहनत करती है एवं भाई बहनों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजती है। कोइड़ा ब्लाक मुख्यालय से चंद कदम दूर स्थित इस गांव में रह रहे बच्चे गरीबी निवारण के लिए सरकार की योजना तथा शिशु सुरक्षा योजना के लाभ से भी वंचित हैं। किसी तरह उनकी जिदगी चल रही थी। रविवार को दंतैल हाथी ने उनकी झोपड़ी को भी तोड़ दिया। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम वहां पहुंची और उनके टूटी झोपड़ी को ठीक कराया गया तथा दस हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। प्रशासनिक अधिकारी भी गांव तक पहुंच कर उन्हें सहायता देने का भरोसा दिया गया है।

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