सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य

सार्वजनिक संपत्ति वह है जो किसी देश के लोग अपने पास रखते हैं और उसका संयुक्त रूप से उपयोग करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:16 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 09:16 AM (IST)
सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य
सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य

सार्वजनिक संपत्ति वह है जो किसी देश के लोग अपने पास रखते हैं और उसका संयुक्त रूप से उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, हम सड़क पर चलते हैं, बिजली का उपयोग करते हैं, सार्वजनिक पार्कों और मैदानों, अस्पताल, पुस्तकालयों, सरकारी कार्यालयों आदि का उपयोग करते हैं। यदि सरकार सार्वजनिक संपत्ति के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है, तो यह लोगों का कर्तव्य है कि वे सरकार को बनाए रखने में मदद करें।

सार्वजनिक संपत्ति के प्रति सम्मान व उनकी सुरक्षा हम सभी का दायित्व होता है। इन चीजों को बनाने या खरीदने में बहुत पैसा खर्च होता है और हमारा देश इतना समृद्ध नहीं है। ड्यूटी थोड़ी और बढ़ जाती है। अगर हम, देश के लोग इन सार्वजनिक सुविधाओं का ठीक से उपयोग नहीं करते हैं या हम उन्हें नष्ट कर देते हैं, तो उन्हें बदलना आसान नहीं होगा, देखा गया है कि लोग पानी और बिजली का उपयोग करते हैं, वे रेलवे के कुछ हिस्सों को हटाकर दुर्घटना का कारण बनते हैं और चोरी या क्षति करते हैं रेलवे के डिब्बों से बल्ब और पंखे। इस असामाजिक व्यवहार का खामियाजा दूसरे लोगों को भुगतना पड़ता है। कभी-कभी बिजली, टेलीफोन लाइनें काट दी जाती हैं और चोरी हो जाती हैं। एक अच्छे नागरिक के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम सार्वजनिक संपत्ति का उपयोग उतनी ही सावधानी से करें जितना कि हम अपनी चीजों का उपयोग करते हैं। इसके दुरुपयोग से स्वयं सहित सभी को असुविधा होती है। हमें एक आरामदायक और सुखी नागरिक जीवन के लिए सहयोग की भावना विकसित करनी चाहिए। हम सभी को एक साथ काम करना चाहिए, समय पर करों का भुगतान करके धन का योगदान करना चाहिए और सभी के लाभ के लिए मौजूद सुविधाओं को बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए।

- माधुरी वजीर, शिक्षिका, लोरेटो इंग्लिश स्कूल। सार्वजनिक संपत्ति वह है जो सार्वजनिक उपयोग के लिए समर्पित है। इस पर सरकार का अधिकार होता है। सड़क, रेलवे, बस, बिजली, टेलीफोन, झील, उद्यान, स्टेडियम, स्कूल, कालेज, सरकारी कार्यालय, ऐतिहासिक स्मारक, गुफा व दुर्ग आदि। यह उनती की अनमोल होती है जितनी हमारी अपनी संपत्ति। जिस तरह हम व्यक्तिगत संपत्ति की सुरक्षा व सम्मान करते हैं उसी तरह सार्वजनिक संपत्ति की भी सुरक्षा करनी चाहिए जो पूरे राष्ट्र की है। ऐसा देखा जाता है कि अनुशसानहीनता के कारण अनेक नागरिक प्रशासन या सरकार या प्रशासन से अपनी मांगें मनवाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं और इसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है। किसी भी राष्ट्र की सार्वजनिक संपत्ति आम नागरिकों को सुविधा प्रदान करने के लिए होती है इस कारण इनकी सुरक्षा करना सरकार से ज्यादा हमारी जिम्मेदारी होती है। जब हम सार्वजनिक स्थल पर जाते हैं तो हमें सार्वजनिक संपत्ति और दूसरे लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

- पूजा, शिक्षिका, लोरेटो इंग्लिश स्कूल। सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है जैसे की हम अपनी संपत्ति का करते हैं। सरकारी संपत्ति को लावारिस मान लिया जाता है जो गलत है। इसकी संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है ओर अगर हम अपने राष्ट्र का सम्मान करते हैं तो इनके प्रति भी सम्मान भाव रखनी चाहिए। जब मांगे मनवाने के लिए धरना प्रदर्शन व आंदोलन होता है तक सड़क, पुल, इमारत, सरकारी वाहन आदि को नुकसान पहुंचाया आता है जो ठीक नहीं है इससे देश को ही नुकसान होता है। यह दंडनीय अपराध भी है। आंदोलन के नाम पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का किसी का हक नहीं है। यदि कोई ऐसा करता है उसकी भरपाई भी उसी व्यक्ति से करनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों, इमारतों आदि पर पोस्टर चिपकाना, अपशब्द लिखना, थूकना, कचरा फेंकना भी संपत्ति का अपमान है। इसकी सुरक्षा करना, सही तरह से उपयोग करना ही इसका सम्मान करना है। हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि जिस तरह हम राष्ट्र गान व राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करते हैं वैसे ही सार्वजनिक संपत्ति का भी करना चाहिए।

- ज्योति प्रसाद, शिक्षिका, लोरेटो इंग्लिश स्कूल।

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