कुष्ठ रोगियों के लिए भगवान से कम नहीं डा. जीआर गिरी

एक समय था जब लोग कुष्ठ रोग व रोगियों से घृणा करते थे। कोई कुष्ठ रोगी भीख मांगते हुए घर आ जाए तो गोबर से लीपा जाता था एवं रोगी का तिरस्कार किया जाता था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 07:45 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 07:45 AM (IST)
कुष्ठ रोगियों के लिए भगवान से कम नहीं डा. जीआर गिरी
कुष्ठ रोगियों के लिए भगवान से कम नहीं डा. जीआर गिरी

जागरण संवाददाता, राउरकेला : एक समय था जब लोग कुष्ठ रोग व रोगियों से घृणा करते थे। कोई कुष्ठ रोगी भीख मांगते हुए घर आ जाए तो गोबर से लीपा जाता था एवं रोगी का तिरस्कार किया जाता था। उस परिस्थिति में कुष्ठ रोगियों का समुचित इलाज, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, मनोरंजन के साथ सम्मान दिलाने के लिए डा. ज्ञान रंजन गिरी ने हर प्रयास किया। शहर के जगन्नाथ कुष्ठ रोगी बस्ती के चार सौ समेत पांच बस्तियों के दो हजार से अधिक कुष्ठ रोगी निरोग हो चुके हैं। कुष्ठ रोगियों के लिए डा. गिरी भगवान से कम नहीं हैं। उनके प्रयास से बस्ती के लोग न केवल सम्मान के साथ जी रहे हैं बल्कि खुद का रोजगार व निजी संस्थानों में नौकरी कर आजीविका चला रहे हैं।

चार दशक से कर रहे हैं कुष्ठ रोगियों की सेवा : राउरकेला में जर्मन लेप्रोसी रिलीफ एसोसिएशन की सहायता से कुष्ठ रोगियों के इलाज का कार्यक्रम 1981 में शुरू किया गया था। हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल डा. सुरेन्द्र नाथ द्विवेदी व श्रमिक नेता राजकिशोर सामंतराय तब इसका संचालन कर रहे थे। 1984 में जर्मन संस्था ने वित्तीय सहायता बंद कर दी। तब डा. ज्ञानरंजन गिरी लायंस क्लब राउरकेला मिड टाउन के अध्यक्ष पद पर थे। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा का भार अपने ऊपर लिया। रोगियों के घाव की सफाई करने के लिए आवश्यक दवा अपने पैसे से खरीद कर लाते थे। 1994 में सरकार की ओर से मल्टी ड्रग्स थैरेपी शुरू की गई एवं यह रोगियों के लिए वरदान साबित हुई। रोगी दवा लेने से कतरा रहे थे तब उन्हें जागरूक करने के लिए तत्कालीन जिला लेप्रोसी आफिसर डा. चिन्मय मिश्रा के साथ कुष्ठ रोगी कालोनी के घर-घर जाकर लोगों को नियमित दवा दी। उनके प्रयास से 99 फीसद लोग ठीक हो चुके हैं एवं नए रोगी नहीं मिल रहे हैं। अब भी बस्ती के लोगों का मुफ्त में इलाज वे करते हैं।

कुष्ठ रोगी के बच्चों के लिए स्कूल की स्थापना : कुष्ठ रोगी बस्ती के बच्चों को दूसरे स्कूल में जाकर पढ़ना संभव नहीं था। इन बच्चों की शिक्षा के लिए अपने पैसे से जगन्नाथ कालोनी सेक्टर-6 में 1984 में स्कूल बनवाया। यहां तीन शिक्षक नियुक्त किए। सरकार की ओर से सुविधा नहीं मिलने के कारण अपने पैसे से शिक्षकों को वेतन देते हैं। इस स्कूल में अब पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही है एवं यहां कुष्ठ रोगी बस्ती के बच्चों के साथ बाहर के बच्चे भी पढ़ाई कर रहे हैं। कुष्ठ रोगियों के बच्चों के प्रति आम लोगों के प्रति भावना भी बदली है एवं लोग घृणा नहीं करते हैं। स्कूल में कुल 95 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। राउरकेला इस्पात संयंत्र से शिक्षकों के रहने के लिए सेक्टर-6 में तीन क्वार्टर उपलब्ध कराए गए हैं एवं मेंटेनेंस के लिए हर साल 20 हजार रुपये मिल रहे हैं। स्कूल में अपने पैसे से नलकूप का खनन करवाया है। यहां पढ़ाई करने वाले बच्चे बाहर विभिन्न संस्थानों में नौकरी करने लगे हैं।

जगन्नाथ कुष्ठ रोगी बस्ती का सर्वांगीण विकास : डा. ज्ञान रंजन गिरी ने कुष्ठ रोगियों के सर्वांगीण विकास के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं। बस्ती में पुरी के राजा गजपति महाराज के द्वारा जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया जहां हर साल रथयात्रा होती है एवं डा. गिरी ही राजा की भूमिका में अब तक छेरापहंरा करते रहे हैं। विधायक शारदा नायक की मदद से हर परिवार तक पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का प्रबंध किया गया है। यहां सामुदायिक शौचालय बनवाया गया जिससे अब लोग खुले में शौच के लिए नहीं जाते हैं। बस्ती के लोगों के रोजगार के लिए झाडू, मोमबत्ती, अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। शहर में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत में बस्ती के लोगों के द्वारा निर्मित झाडू की मांग बहुत अधिक थी। डा. गिरी ने उन्हें बैंक से ऋण दिलाने का प्रबंध किया। बस्ती के लोग समय पर बैंक का ऋण चुका रहे हैं। यहां बने सामान बाजार में बिक रहे हैं।

कुष्ठ रोगियों के लिए पर्व त्योहार व धार्मिक कार्यक्रम : सेक्टर-5 स्थित जगन्नाथ बस्ती में कुष्ठ रोगियों को लेकर साल भर विभिन्न पर्व त्योहार एवं धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। मकर संक्रांति, होली, चैत्र पर्व, रथयात्रा, रक्षा बंधन, दशहरा, दीपावली का त्योहार सामूहिक रूप से पारिवारिक माहौल में मनाया जाता है। हर साल लेप्रोसी बस्ती नया बाजार सेक्टर-21, बुला कृष्णपल्ली ओएसएपी कालोनी, बसंती कालोनी दुर्गापुर बस्ती, तरकेरा कुष्ठ बस्ती के युवाओं के बीच क्रिकेट प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर में हर मंगलवार को कीर्तन होता है जिसके लिए सामग्री भी डा. गिरी उपलब्ध कराते हैं।

भाई ने पूछा था राउरकेला में रहकर क्या कमाया : वर्ष 2004 में बारीपदा के जाने माने ठेकेदार व डा. ज्ञानरंजन गिरी के भाई मनोरंजन गिरी राउरकेला आए थे। उन्होंने डा. गिरी से पूछा कि 30 साल तक राउरकेला में रहकर क्या कमाया। उन्होंने जवाब दिया था कि मेरे पर नकद कुछ नहीं है पर मेरा बैंक बैलेंस बहुत है। उन्होंने अपने भाई को स्कूटर पर बैठाया एवं लुआकेरा बस्ती, छेंड कालोनी, तरकेरा बस्ती, सेक्टर-21 कुष्ठ बस्ती, बसंती कालोनी दुर्गापुर बस्ती, सेक्टर-6 जगन्नाथ बस्ती ले गए। वहां लोगों से मिला सम्मान भाई को दिखाया और कहा, यही मेरी कमाई है।

कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए मिला सम्मान

1. 2003 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने रायपुर में सम्मानित किया

2. 2006 में मिजोरम के स्वास्थ्य मंत्री ने कोलकाता में सम्मानित किया

3. 2014 में कानून मंत्री विश्वभूषण हरिचंदन ने कटक में सम्मानित किया।

इसके अलावा स्थानीय लायंस क्लब, धामरा संघ समेत दर्जनों संगठनों ने भी डा. गिरी को सम्मान प्रदान किया।

बारीपदा के मूल निवासी : डा. गिरी का जन्म 1957 में मयूरभंज जिला के बारीपदा में हुआ था। पिता श्रीपति चरण गिरी बारीपदा में पंचायत समिति के चेयरमैन थे। प्रारंभिक एवं इंटर तक की पढ़ाई रायरंगपुर में होने के बाद कटक एससीबी मेडिकल कालेज में फार्मासिस्ट, कोलकाता मेडिकल कालेज से होम्योपैथी में डिग्री, निलोत्पल सरकारी मेडिकल कालेज से डीसीपी की डिग्री के बाद 1982 में राउरकेला के उत्कलमणि होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में लेक्चरर के पद पर सेवा शुरू की। यहां रीडर व प्रिसिपल पद पर रहकर फरवरी 2017 में सेवानिवृत्त हुए।

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