होम्योपैथी चिकित्सा के प्रचार-प्रसार की जरूरत : डा. गिरी

ओडिशा होम्योपैथिक चिकित्सक संघ की ओर से होम्योपैथी चिकित्सा के जनक डा. सामुएल हनिमैन की 267वीं जयंती व विश्व होम्योपैथी दिवस सेक्टर-7 स्थित प्रगति उत्कल संघ परिसर में मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 08:19 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:19 AM (IST)
होम्योपैथी चिकित्सा के प्रचार-प्रसार की जरूरत : डा. गिरी
होम्योपैथी चिकित्सा के प्रचार-प्रसार की जरूरत : डा. गिरी

जागरण संवाददाता, राउरकेला : ओडिशा होम्योपैथिक चिकित्सक संघ की ओर से होम्योपैथी चिकित्सा के जनक डा. सामुएल हनिमैन की 267वीं जयंती व विश्व होम्योपैथी दिवस सेक्टर-7 स्थित प्रगति उत्कल संघ परिसर में मनाया गया। इसमें संघ के सलाहकार डा. ज्ञानरंजन गिरी ने कहा कि होम्योपैथी को विश्व के श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति के रूप में स्वीकारा गया है। इसके प्रचार-प्रसार एवं चिकित्सकों में सांगठनिक मजबूती में कमी के कारण इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो रही है।

विश्व होम्योपैथी दिवस पर डा. विप्रचरण राउत ने इस पद्धति में और अधिक शोध करने तथा पद्धति को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए निष्ठा के साथ काम करने की बात कही। संघ के महासचिव डा. बह्मानंद नायक, डा. अनंग कुमार प्रहराज, हैनीमेन के जीवन दर्शन एवं वर्तमान समाज में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। डा. अवनि कुमार दास ने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार प्रसार तथा लोगों में आस्था मजबूत करने के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में शिविर लगाने पर जोर दिया। संघ के डा. पीके बनर्जी, डा. पुष्पलता बिधानी, डा. प्रभाती मुर्मू, डा. प्रणति बेहरा, डा. सागरिका पंडा, डा. कविता सेठी प्रमुख ने भी अपने-अपने विचार रखे। लाठीकटा लैंपस में पड़ा है पांच सौ क्विंटल धान : राज्य सरकार की ओर से धान खरीदने के लिए टोकन की व्यवस्था की गई है। टोकन पाने वाले किसान सरकारी दर पर लैंपस में अपना धान बेच सकते हैं। लाठीकटा लैंपस में अव्यवस्था के चलते किसान अपना धान नहीं बेच सके हैं। लैंपस में पांच सौ क्विंटल से अधिक धान पड़ा हुआ है। मिलर धान लेने को तैयार नहीं हैं। इस कारण किसानों को उनका पैसा नहीं मिल पा रहा है। गोदाम की व्यवस्था नहीं होने के कारण खुले में रखा धान बारिश एवं धूप में बर्बाद हो रहा है। लाठीकटा लैंपस में धान रखने के लिए गोदाम नहीं है। इस कारण किसानों को धान खुले में रखना पड़ रहा है। टोकन लेकर धान बेचने वाले बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जिन्हें उनका पैसा नहीं मिल पाया है। टोकन पाकर किसान निर्धारित समय में लैंपस में लाकर धान जमा किए हैं पर इसके तीन महीने गुजर जाने के बाद भी वहीं पड़ा है। इसका मुख्य कारण मिलर धान नहीं ले रहे हैं, बताया जा रहा है। खुले में पड़ुा धान बारिश व धूप में बर्बाद हो रहा है। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, यह बड़ा सवाल है। लैंपस की ओर से कहा जा रहा है कि इस समस्या के समाधान के लिए मुख्य आपूर्ति अधिकारी को पत्र लिखा गया था पर कोई कदम नहीं उठाया गया। मिलर से संपर्क कर धान ले जाने का अनुरोध किया जा रहा है पर वे निर्धारित दाम से कम में धान लेना चाह रहे हैं जो संभव नहीं है। इस संबंध में जिलापाल का ध्यान आकृष्ट कर शीघ्र समाधान निकालने की मांग की गई है।

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