नहीं पहुंची एंबुलेंस, मरीज को पैदल सात किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए परिजन

ओडिशा में कोकेरामा पंचायत अंतर्गत बेमता गांव तक एंबुलेंस के न पहुंच पाने के कारण मरीज को सात किलोमीटर की दूरी खटिया पर लिटाकर पूरी करवाई गयी।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 08:45 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 08:45 AM (IST)
नहीं पहुंची एंबुलेंस, मरीज को पैदल सात किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए परिजन
नहीं पहुंची एंबुलेंस, मरीज को पैदल सात किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए परिजन

राउरकेला, जेएनएन। ओडिशा में स्वास्थ्य सेवा की लचर हालत का नमूना फिर एक बार सामने आया है। सरकार की ओर से हर गांव में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के दावों के बीच नुआगांव प्रखंड के कोकेरामा पंचायत अंतर्गत बेमता गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई। मजबूरी में परिवार के लोग मरीज को खटिया पर लादकर सात किलोमीटर पैदल चलकर हाथीबाड़ी अस्पताल पहुंचे।

जानकारी के अनुसार बेमता गांव में दस साल के एक बालक की अचानक तबीयत खराब हो गयी। उसे अस्पताल ले जाने के लिए परिवार के लोगों ने 108 एंबुलेंस को बुलाया। लेकिन गांव को जोड़ने वाली सड़क पर बना पुल अगस्त माह की बारिश में खराब हो चुका है। 

जिसके कारण कोई भी बड़ा वाहन गांव तक नहीं पहुंच पा रहा है। एंबुलेंस के साथ भी यही हुआ। उसके गांव तक नहीं पहुंच पाने की स्थिति में में बीमार बालक को अस्पताल तक ले जाने के लिए कोई दूसरा उपाय नहीं होने से परिवार एवं आस पड़ोस के लोगों ने उसे खटिया पर लिटाया और गांव से पैदल चलकर करीब सात किलोमीटर दूर हाथीबाड़ी प्राथमिक चिकित्सालय पहुंचे।

अब तक पुल की किसी ने नहीं ली सुध 

अगस्त में भारी बारिश के कारण कोकेरामा से बेमता गांव को जोड़ने वाली सड़क का पुल टूट गया। इसके बारे में जिलापाल, विधायक एवं सांसद को भी सूचित किया जा चुका है। पर अब तक किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। नतीजतन इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  

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गौरतलब है ओडिशा में कई जगह एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को अक्सर इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। तिरपिटकानी गांव में भी 60 वर्षीय ईलारोष सोरेन को अस्पताल तक ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी, इस वजह से एंबुलेंस कर्मचारी डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर गांव पहुंचे और मरीज को स्ट्रेचर में उठाकर पैदल एंबुलेंस तक लाने के बाद ईलारोष को पहले रेढ़ाखोल अस्पताल और फिर संबलपुर सदर अस्पताल लाकर भर्ती करवाना पड़ा।

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