अपराधियों की शरणस्थली बने सेल के परित्यक्त क्वार्टर

झारखंड-ओडिशा सीमा पर पुरनापानी चूना पत्थर खदान के बंद होने के बाद सेल के क्वार्टर खाली पड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:48 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:48 PM (IST)
अपराधियों की शरणस्थली बने सेल के परित्यक्त क्वार्टर
अपराधियों की शरणस्थली बने सेल के परित्यक्त क्वार्टर

जागरण संवाददाता, राउरकेला : झारखंड-ओडिशा सीमा पर पुरनापानी चूना पत्थर खदान के बंद होने के बाद सेल के क्वार्टर खाली पड़े हैं। झारखंड एवं ओडिशा क्षेत्र के अपराधियों के लिए ये क्वार्टर शरणस्थली बने हुए हैं। प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआइ से जुड़े लोग भी यहां रह रहे हैं एवं क्रसर मालिक, ठेकेदार व उद्योगपितयों को डरा धमका कर मोटी रकम रंगदारी के रूप में वसूल रहे हैं। इससे विकास बाधित हो रहा है। बीरमित्रपुर से क्रसर मालिक प्रदीप कुंडू का अपहरण तथा फिरौती लेकर छोड़ने का मामला भी इससे जुड़ा है। चार दिन पहले खुटगांव के व्यवसायी मनोज साहू के घर से छह लाख रुपये की लूट हुई थी। पीएलएफआइ कमांडर मदन माझी भी पुरनापानी में सेल क्वार्टर में ही रहता था जिसकी बाद में आपसी रंजिश के चलते हत्या कर दी गई थी पर अन्य अपराधी अब भी इस क्षेत्र में ही रह रहे हैं।

पुरनापानी क्षेत्र में अपराधियों के आने जाने से इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है। चार दिन पहले खुटगांव के व्यवसायी मनोज साहू के घर में आठ हथियारबंद लोग घुसे एवं परिवार के लोगों को एक कमरे में बंद कर घर से नकद छह लाख रुपये व 100 ग्राम से अधिक के सोने के गहने लेकर फरार हो गए। पुलिस अब तक इन अपराधियों का सुराग नहीं लगा पाई है। चार साल पहले कुआरमुंडा के तत्कालीन चौकी प्रभारी की अगुवाई में पुरानापानी सेल क्वार्टर में छापेमारी की गई थी जहां से चार पीएलएफआइ सदस्य पकड़े गए थे। उनके पास से हथियार भी जब्त किए गए थे। पीएलएफआइ का एरिया कमांडर मदन माझी भी सेल क्वार्टर में ही रहता था एवं उसके द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में सहयोगियों के साथ आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया जाता था। साल भर पहले सीमा पर स्थित जंगल में वर्चस्व को लेकर दो गुटों में संघर्ष हुआ जिसमें मदन माझी मारा गया था। इसके बाद उसके कई सहयोगी इसी इलाके में रहकर रंगदारी वसूली से लेकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 1959 में नुआगांव ब्लाक के पुरनापानी में सेल की ओर से चूनापत्थर व डोलोमाइट खनन का काम शुरू किया गया था। राज्य सरकार से सेल कच्चा माल विभाग को इसके लिए 123 हेक्टेयर जमीन लीज पर मिली है। 2001 से निम्न कोटि का कच्चा माल होना दर्शाकर सेल द्वारा खनन बंद कर दिया गया एवं कर्मचारी वहां से हटा दिए। वर्ष 2003 से यहां क्वार्टर खाली पड़े हैं एवं जिसका आपराधिक तत्व दुरुपयोग कर रहे हैं।

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