Rath yatra 2019: श्री जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां पूरी, तीनों रथ तैयार; श्रीविग्रहों का इंतजार

4 जुलाई को श्रीजगन्नाथ धाम पुरी में रथयात्रा निकाली जाएगी महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपने भाई व बहन के साथ श्रीमंदिर से बाहर निकल खुद भक्‍तों को दर्शन देंगे और अपनी मौसी के घर चले जाएं

By Babita kashyapEdited By: Publish:Wed, 03 Jul 2019 11:46 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jul 2019 11:46 AM (IST)
Rath yatra 2019: श्री जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां पूरी, तीनों रथ तैयार; श्रीविग्रहों का इंतजार
Rath yatra 2019: श्री जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां पूरी, तीनों रथ तैयार; श्रीविग्रहों का इंतजार

भुवनेश्वर, जेएनएन। श्रीजगन्नाथ धाम पुरी में रथयात्रा 4 जुलाई से है। इसी दिन रथारूढ़ होकर जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपने भाई व बहन के साथ श्रीमंदिर से बाहर निकलेंगे और मौसी के घर जाएंगे, इसे रथयात्रा कहा जाता है। ऐसे में रथ निर्माण से लेकर भक्तों के आवागमन, पिकिंग, रथ खींचने, रथारूढ़ श्री विग्रहों के दर्शन करने आदि तमाम तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। महाप्रभु श्रीजगन्नाथ का नंदीघोष, भाई बलभद्र का तालध्वज रथ और देवी सुभद्रा का दर्प दलन रथ श्री विग्रहों की सवारी के तैयार कर लिए गए हैं। श्रीमंदिर के चारों तरफ मंगलवार से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं। पुरी आने वाले वाहनों को कड़ी जांच पड़ताल के बाद छोड़ा जा रहा है। 

महाप्रभु की इस विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का साक्षी बनने, रथारूढ़ श्री विग्रहों के दर्शन करने के लिए लालायित भक्तों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। हालांकि चक्रवात फणि के बाद होटलों की हालत अब भी पूरी तरह से दुरुस्त नहीं हुई है, बावजूद इसके भक्त विभिन्न माध्यमों से बुकिंग करा ली है। शहर में मौजूद छोटे बड़े लगभग 500 होटल एवं धर्मशालाओं के कमरे बुक हो चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि साल में एक बार महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए खुद श्रीमंदिर से बाहर निकलते हैं। यही वजह है कि लाखों की संख्या में न सिर्फ ओडिशा बल्कि देश दुनिया से भक्तों का सैलाब महाप्रभु के दर्शन को उमड़ता है। पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से भक्तों का आगमन शुरू हो गया है।


भक्तों में उत्साह

रथ निर्माण की कार्यशाला का काम देखने के लिए भी भक्तों में उत्साह नजर आ रहा है। निर्माण सामग्री काष्ठ को माथे से लगाकर धन्य होने में अभी से भक्तजन जुटे हैं। यहां के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूुर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। इसी प्रतीक के रूप श्री जगन्नाथ से संपूर्ण जगत का उदभव हुआ है। पुरी की रथयात्रा ओडिशा का प्रधान पर्व भी है। इसमें भाग लेने के लिए, दर्शन लाभ के लिए लाखों की संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी प्रदेश के साथ देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं।

रथयात्रा में सबसे आगे तालध्वज जिस पर बलराम जी विराजमान होते हैं, उसके पीछे दर्पदलन रथ जिसपर देवी सुभद्रा व सुदर्शन चक्र तथा सबसे अंत में नंदीघोष रथ पर जगत के नाथ महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी विराजमान होकर पतित-पावन को दर्शन देते हुए मौसी के घर के लिए रवाना होते हैं। महाप्रभु की इस अलौकिक यात्रा को देखने के लिए साल भर से भक्तों को इंतजार रहता है।

महाप्रसाद का स्वरूप 

रथयात्रा में पतितपावन को दर्शन देते हुए महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ श्रीगुंडिचा मन्दिर मौसी के घर पहुंचते हैं। यहां पर नौ दिनों में महाप्रभु के दर्शन को आड़प दर्शन कहा जाता है। श्रीजगन्नाथ जी के प्रसाद को महाप्रसाद माना जाता है जबकि अन्य तीर्थों के प्रसाद को प्रसाद ही कहा जाता है। श्रीजगन्नाथ के प्रसाद को महाप्रसाद का स्वरूप महाप्रभु बल्लभाचार्य के द्वारा मिला। कहते हैं कि महाप्रभु बल्लभाचार्य की निष्ठा की परीक्षा लेने के लिए उनके एकादशी व्रत के दिन पुरी पहुंचने पर श्रीमन्दिर में ही किसी ने प्रसाद दे दिया। नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुआ का प्रसाद विशेष रूप से इस दिन मिलता है। 

रथयात्रा के तीसरे दिन पंचमी को लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को ढूंढते हुए यहां आती हैं। तब दइतापति सेवक दरवाज़ा बंद कर देते हैं जिससे लक्ष्मी नाराज होकर रथ का पहिया तोड़ देती है और हेरागोहरी साही (पुरी का एक मुहल्ला) लक्ष्मी जी का मंदिर है, वहां लौट जाती हैं। मौसी के घर से लौटने के बाद भगवान जगन्नाथ लक्ष्मी जी को मनाने जाते हैं। उनसे क्षमा मांगकर और अनेक प्रकार के उपहार देकर उन्हें

प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। 

इस आयोजन में एक ओर दइताधिपति भगवान जगन्नाथ की भूमिका में संवाद बोलते हैं तो दूसरी ओर देवदासी लक्ष्मी की भूमिका में संवाद करती है। लोगों की अपार भीड़ इस मान-मनौव्वल के संवाद को सुनकर खुशी से झूम उठती हैं। सारा आकाश जय श्री जगन्नाथ के जयघोष से गुंजायमान हो उठता है। लक्ष्मी को भगवान जगन्नाथ के द्वारा मना लिए जाने को विजय का प्रतीक मानकर इस दिन को विजयादशमी और वापसी को बहुतोड़ी गोंचा कहा जाता है। रथयात्रा में पारंपकि सद्भाव, सांस्कृतिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता का अदभुत समन्वय देखने को मिलता है। 

यात्री सुविधा के लिए बनाया गया नया ईकोर यात्रा एप

रथयात्रा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने नया एप ईकोर यात्रा नाम से प्रचलित किया है। इस एप के जरिए यात्री 4 जुलाई से 14 जुलाई तक ट्रेनों की आवाजाही के संबंध में जानकारी हासिल कर पाएंगे। पूर्व तट रेलवे

सूत्र के अनुसार पुरी आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। इस एप में पूर्वतट रेलवे रूट पर चलने वाली गाड़ियों के आगमन- प्रस्थान सहित आइआरसीटीसी द्वारा प्रदत्त सेवाएं जैसे टूरिज्म ट्रेन, रिटार्यंरग रूम आदि की पूरी जानकारी मिल पाएगी। गूगल प्ले स्टोर से इस एप को डाउनलोड किया जा सकता है। इस एप के जरिए यात्री रेलवे द्वारा दी जा रही सुविधाओं सहित कौन-कौन से स्टेशनों में मुफ्त वाई-फाई है, इसकी जानकारी हासिल कर सकते हैं। 

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