Chandan Yatra 2020: राह देख रहा नरेन्द्र सरोवर, घर में जलक्रीड़ा करेंगे भगवान के प्रतिनिधि

कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण इस साल 26 अप्रैल से शुरु होने जा रही 21 दिवसीय चंदन यात्रा की सम्पूर्ण व्यवस्था श्रीमंदिर के अन्दर ही की है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Sun, 26 Apr 2020 12:09 PM (IST) Updated:Sun, 26 Apr 2020 02:47 PM (IST)
Chandan Yatra 2020: राह देख रहा नरेन्द्र सरोवर, घर में जलक्रीड़ा करेंगे भगवान के प्रतिनिधि
Chandan Yatra 2020: राह देख रहा नरेन्द्र सरोवर, घर में जलक्रीड़ा करेंगे भगवान के प्रतिनिधि

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। हर साल की तरह इस साल भी नरेंद्र सरोवर, जलक्रीड़ा के लिए भगवान के प्रतिनिधियों का प्रतीक्षा कर रहा है मगर इस साल हालात ऐसे हैं कि भगवान के प्रतिनिधि नरेन्द्र सरोवर में नौका विहार या जलक्रीड़ा नहीं कर पाएंगे। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के चलते जगत गुुुुरु शंकराचार्य के निर्देश पर श्रीमंदिर प्रशासन ने इस साल रविवार 26 अप्रैल से शुरु होने जा रही 21 दिवसीय चंदन यात्रा की सम्पूर्ण व्यवस्था श्रीमंदिर के अन्दर ही की है। ऐसे में श्रीमंदिर से 1 किमी. की दूरी पर मौजूद नरेन्द्र सरोवर को भगवान के प्रतिनिधियों के जलक्रीड़ा का अवसर नहीं मिलेगा।

 जानकारी के मुताबिक हर साल चंदन यात्रा के दिन मणि विमान में भगवान के प्रतिनिधि मदन मोहन, भू देवी एवं श्रीदेवी तथा पालकी में रामकृष्ण विराजमान होकर श्रीमंदिर से 1 किमी. दूर स्थित नरेन्द्र सरोवर अर्थात चंदन तालाब में नौका विहार करते हैं। इन देवी देवता अलावा अपने-अपने स्थान से अपने विमान में पंचपांडव (लोकनाथ, जम्बेश्वर, नीलकंठेश्वर, मार्केंडेश्वर, कपालमोचन) भी श्रीमंदिर पहुंचते हैं और फिर सब एक साथ चंदन सरोवर नौकाविहर करने जाते हैं और 21 दिन तक जलक्रीड़ा करते हैं। भगवान को नए कपड़े से सुसज्जित कर विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। इसके बाद मांडुअ भोग लगाया जाता है। भोग खाने के पश्चात बीड़िया पान समर्पण किया जाता है। इसके बाद पुन: जलक्रीड़ा करने के बाद वे मंदिर लौट जाते हैं और यह प्रक्रिया लगातार 21 दिन चलती है। महाप्रभु के प्रतिनिधियों के इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए भक्तों में भी काफी उत्साह रहता है। मगर कोरोना वायरस के चलते इस बार श्रीमंदिर के अन्दर ही दो जलकुंड में नरेन्द्र सरोवर की ही तरह नौका विहर करने की व्यवस्था की गई है। इन दोनों जलकुंड में महाप्रभु के प्रतिनिधि 21 दिनों तक नौका विहार करेंगे। 

उसी तरह से रविवार को होने वाली पवित्र अक्षय तृतीया की तमाम रीति नीति भी श्रीमंदिर के अंदर ही विधि के मुताबिक सम्पन्न की जाएगी। ब्राह्मणी मंडप के पास तीनों रथों के लिए तीन लकड़ी लायी जाएगी और तीनों लकड़ी को स्वर्ण, चांदी एवं लोहा की कुल्हाड़ी से लगाकर पूजा की जाएगी। भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा की माला लाकर पूजापंडा पूजा करेंगे। इसके बाद विश्वकर्मा सेवक तीनो लकड़ी को कुल्हाड़ी से लगाकर रथ निर्माण के कार्य का शुभारंभ करेंगे। 

 यहां उल्लेखनीय है कि चंदन यात्रा के दौरान जलक्रीड़ा देखने के लिए हर साल हजारों की संख्या में भक्तों का समागम नरेन्द्र सरोवर में होता था, मगर इस साल नरेन्द्र सरोवर के साथ भक्त भी इस लीला का आनंद नहीं ले पाएंगे क्योंकि भगवान के प्रतिनिधि अपने घर में ही इस बार जलक्रीड़ा करेंगे।

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