Deba Snana Purnima 2021: महाप्रभु जगन्नाथ जी की देव स्नान पूर्णिमा नीति शुरू, देखें मनमोहक तस्वीरें
Deba Snana Purnima 2021 बिन भक्तों के पुरी जगन्नाथ धाम में शुरू हुई चतुर्धा विग्रहों की स्नान यात्रा स्नान मंडप में पहुंचे चतुर्धा विग्रह। कोविड प्रतिबंध के कारण लोगों ने किया घर में बैठकर टीवी के जरिए महाप्रभु के गजानन वेश के दर्शन।
पुरी, जागरण संवाददाता। पुरी जगन्नाथ धाम में गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच महाप्रभु जगन्नाथ जी की देव स्नान पूर्णिमा नीति शुरू की गई है। कोविड महामारी के कारण पिछले साल की तरह इस साल भी भक्तों के बिना ही महास्नान नीति सम्पन्न की जा रही है। शहर में प्रमुख जगहों पर धारा 144 लगा दी गई है। ऐसे भक्त घर में ही बैठकर महाप्रभु का दर्शन लाभ कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक मंगलार्पण नीति संपन्न होने के बाद डोर लागी एवं पुष्पांजलि कर चतुर्धा विग्रहों की पहंडी की गई। सर्वप्रथम चक्रराज सुदर्शन, इसके बाद बलराम जी, फिर सुभद्रा एवं अंत में महाप्रभु जगन्नाथ जी को स्नान मंडप मे लाया गया। मंगल आरती नीति सम्पन्न होने के बाद मइलम, तड़पलागी, अधर पोछा, अवकाश नीति सम्पन्न की गई है।
108 घड़ा सुगंधित जल से होगा स्नान
जानकारी के मुताबिक स्नान मंडप में चतुर्धा विग्रहों को 108 घड़ा सुगंधित जल से स्नान कराया जाएगा। महास्नान के बाद चतुर्धा विग्रह हाथी वेश में दर्शन देंगे। अत्यधिक स्नान करने के कारण महाप्रभु को बुखार हो जाएगा। इसके बाद उन्हें 14 दिन के लिए क्वारेनटाइन में रखा जाएगा। यहां पर दइतापति सेवकों द्वारा चुतुर्धा विग्रहों की गुप्त सेवा की जाती है।
बिन भक्तों के हो रही है स्नान यात्रा, धारा 144 लागू
महाप्रभु की स्नान यात्रा बिन भक्तों की हो रही है, ऐसे में शहर के प्रमुख जगहों पर धारा 144 लगायी गई है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 6 जोन बनाए गए हैं। 5 अतिरिक्त एसपी, 35 प्लाटून पुलिस बल, 23 डीएसपी, 41 से अधिक इंस्पेक्टर एवं 150 से अधिक अधिकारी तैनात किए गए हैं। जगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ बड़दांड एवं पुरी के प्रवेश मार्ग पर 15 सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है।
12 जुलाई को निकलेगी रथयात्रा
गौरतलब है कि 14 दिन उपरांत बुखार से स्वस्थ होने के बाद चतुर्धा विग्रह भक्तों को नवयौवन वेश में दर्शन देंगे। इसके बाद अगले दिन आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि अर्थात 12 जुलाई को जगत के नाथ पतितों को उद्धार करने के लिए रथ पर सवार होकर जन्म वेदी यानी गुंडिचा मंदिर जाएंगे, जिसे रथयात्रा कहा जाता है।