हीराकुद विस्थापित के बहाने जमीन हथियाने का मामला
हीराकुद विस्थापित परिवार को सरकारी जमीन आवंटन का फायदा लेना एक सरकारी अधिकारी के लिए मुसीबत बन गया है। झारसुगड़ा तहसील अंतर्गत बड़माल मौजा में बहुमूल्य आठ डिसमिल सरकारी जमीन हथियाने के मामले में आरआइ को मिले जमीन के पटे को रद करने का निर्देश उप जिलाधीश शिव टोप्पो ने दिया है।
झारसुगुड़ा : हीराकुद विस्थापित परिवार को सरकारी जमीन आवंटन का फायदा लेना एक सरकारी अधिकारी के लिए मुसीबत बन गया है। झारसुगड़ा तहसील अंतर्गत बड़माल मौजा में बहुमूल्य आठ डिसमिल सरकारी जमीन हथियाने के मामले में आरआइ को मिले जमीन के पटे को रद करने का निर्देश उप जिलाधीश शिव टोप्पो ने दिया है। साथ ही उपयुक्त फोरम में उक्त जमीन के पटे को रद कराने को तहसीलदार को भी निर्देश दिया है। अन्य एक कर्मचारी के संबंधी के जमीन का पट्टा भी रद करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश टोप्पो ने दिया है। दैनिक जागरण में गत दिनों हीराकुद विस्थापितों क आड़ में आरआइ ने जमीन हथियाई शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। इसके बाद पूरे मामले की जांच कर उपजिलाधीश टोप्पो ने उक्त कदम उठाया था। जांच से पता चला कि बड़माल आरआइ सर्किल के पूर्व राजस्व निरीक्षक अशोक सा बड़माल मौजा की बहुमूल्य आठ डिसमिल जगह हथियाने के साथ उसका पटा अपने नाम पर करा भी करा लिया था। हीराकुद विस्थापित परिवारों को दस डिसमिल सरकारी जमीन देने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2002 में घोषणा की थी। उक्त घोषणा का फायदा सरकारी अधिकारी व कर्मचारी द्वारा लिए जाने का आरोप बार-बार लग रहा था। इस मामले में संबंधित आरआइ जो वर्तमान कोलाबीरा तहसील रघुनाथपाली सर्किल में आरआइ थे। छह माह पहले ही उनका स्थानांतरण बड़माल सर्किल में हुआ था। उनके आवेदन पर गत 2018 जुलाई माह से उनको जमीन उपलब्ध कराने प्रक्रिया आरंभ हुई थी। हीराकुद जलभंडार के बीच में डूबी तत्कालीन महादेवापाली थाना गुडुंम गांव विस्थापित हुआ था। इसी को बता कर उन्होंने जमीन पाने आवेदन किया था। लखनपुर तहसीलदार ने भी अपने पत्र संख्या 3270 में दिनांक 14-12-2018 में अशोक सा को हीराकुद विस्थापित परिवार का उत्तराधिकारी बताया था। तत्कालीन बड़माल आरआइ ने आवेदन पर बड़माल मौजा के खाता नंबर 137 अंतर्गत प्लांट नंबर 76 (अंश) एरिया में आठ डिसमिल पतीत किस्म की जमीन आवेदनकारी को प्रदान करने की सिफारिश की थी। स्वयं आरआइ विभाग के होने के साथ ही जिस अंचल में वह आरआई के रूप में काम कर रहे हैं। उसी अंचल की मूल्यवान सरकारी जमीन को अपने नाम करा लेने की घटना से सीधे प्रशासन पर अंगुली उठने लगी थी। नियम से जहां विस्थापित परिवार रह रहे हैं, उन्हें वहीं जमीन मिलनी चाहिए। मगर आरआई को बड़माल जैसे एक शिल्प बहुल इलाका में बहुमूल्य सरकारी जमीन को कैसे दे दिया पर प्रश्न उठा था। जिससे यह बात साफ हो गई थी आरआई ने अपने विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों को प्रभावित कर उक्त जमीन को हथियाया था। यह आरोप लगने के बाद इस घटना की प्रशासनिक स्तर पर चर्चा रही। अब उक्त जमीन का पटा रद होने का निर्देश दिए जाने के बाद यह साफ है कि इस तरह कि ओर घटना आगामी दिनों में सामने आएगी।