जीएसटी के कारण तेंदूपत्ता की बिक्री प्रभावित

एक समय था जब तेंदूपत्ता राजस्व का एक बड़ा अंश था। और तेंदूपत्ता के लाभांश से कई विकास मूलक कार्य होते थे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:27 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 07:27 PM (IST)
जीएसटी के कारण तेंदूपत्ता की बिक्री प्रभावित
जीएसटी के कारण तेंदूपत्ता की बिक्री प्रभावित

संसू, झारसुगुड़ा : एक समय था जब तेंदूपत्ता राजस्व का एक बड़ा अंश था। और तेंदूपत्ता के लाभांश से कई विकास मूलक कार्य होते थे। झारसुगुड़ा जिला में उत्पादित तेंदूपत्ता कि बाहरी राज्य में बहुत मांग थी। मगर समय चक्र में अब तेंदूपत्ता का उत्पादन भी काफी कम हो गया है। और इसकी गुणवत्ता भी कम होने लगी है। तेंदूपत्ता को लेकर अपना जीवन निर्वाह करने वाले हजारों तेंदूपत्ता तोड़ने वाले, बांधने वाले और कर्मचारी अब तेंदूपत्ता की बिक्री मंदा हो जाने से उनकी जीविका भी प्रभावित हो रही है। तेंदूपत्ता में जीएसटी लगाए जाने के बाद से पूरी प्रक्रिया ही क्षतिग्रस्त होने का आरोप लगाया जा रहा है। सरकार ने तेंदूपत्ता पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। और तेंदूपत्ता कच्चा माल संग्रह और उससे बनने वाले बीड़ी पर फिर 18 फीसदी जीएसटी वसूली की जा रही है। इसके बाद पांच फीसदी परिवहन टैक्स वसूली जाती है। सरकार तेंदूपत्ता लाभांश पर कुछ नहीं ले रही है। वही लाभांश का कुछ अंश कार्यरत पत्ता तोड़ने वाले, बांधने वाले व त्रृतु कालीन कर्मचारियों के विभिन्न कल्याणकारी योजना में खर्च करती है। वर्ष 2007 में जंगल अधिकार व पेसा कानून के तहत राज्य सरकार ने इसका सर्वमान्य कर्ता ना होकर विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि, श्रमिक प्रतिनिधि, पंचायत प्रतिनिधि व संघ के प्रतिनिधियों से विभिन्न समय में आलोचना करती आ रही है। झारसुगुड़ा में तेज गति से हुए शिल्पायन के चलते तेंदूपत्ता का उत्पादन काफी कम हो गया है। और हर साल उत्पादन के समय कुछ ना कुछ प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण सैकड़ों बोरा तेंदूपत्ता बीना बिक्री के पड़ा रह जाता है। वहीं बगैर मौसम वर्षा के साथ-साथ वर्तमान में कोरोना महामारी भी तेंदूपत्ता व्यवसाय को क्षतिग्रस्त कर रहा है। वहीं दूसरी ओर अत्याधिक जीएसटी व टैक्स के कारण भी तेंदूपत्ता व्यवसायी तेंदूपत्ता खरीदने का मन नहीं बना रहे हैं, और इसका सीधा प्रभाव तेंदूपत्ता तोड़ने, बांधने व अन्य श्रमिकों के जीवन जीविका पर पड़ रहा है। इस समस्या को लेकर तेंदूपत्ता तोड़ने, बांधने वाले व अन्य श्रमिक अब आंदोलन का मन बना रहे हैं। वे लोग विरोध में काला बैच पहनने के साथ सभी फड़ में हस्ताक्षर अभियान कर केंद्र सरकार पर जीएसटी को वापस लेने के लिए दबाव बनाने की बात कह रहे हैं।

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