आदिवासियों पर अत्याचार के मामले पर पुलिस चुप

झारसुगुडा़ जिला के विभिन्न थानों में 44 से अधिक आदिवासी अत्याचार (आग्रोसीटी) के मामले लंबित पड़े है लेकिन पुलिस चुप है। ध्यान नहीं दे रही है। कोई कार्रवाई नहीं होने से दोषी बच कर निकल जाते है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 06:50 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 06:50 AM (IST)
आदिवासियों पर अत्याचार के मामले पर पुलिस चुप
आदिवासियों पर अत्याचार के मामले पर पुलिस चुप

संसू, झारसुगुडा़ : झारसुगुडा़ जिला के विभिन्न थानों में 44 से अधिक आदिवासी अत्याचार (आग्रोसीटी) के मामले लंबित पड़े है लेकिन पुलिस चुप है। ध्यान नहीं दे रही है। कोई कार्रवाई नहीं होने से दोषी बच कर निकल जाते है। आदिवासियों की जमीन ठगने के मामलों में भी सही फैसला नहीं होने से दलालों द्वारा ठगी का शिकार हो रहे है। उक्त बातें कापुमाल में आयोजित आदिवासी समाज की आम बैठक में उपस्थित वक्ताओं ने कही।

संगठन के अध्यक्ष बुंदे धुरवा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लैयकरा व किरमिरा ब्लाक को आदिवासी अधिसूचित ब्लॉक के रूप में मान्यता देने में लगातार की जा रही उपेक्षा, गांव-गांव में बढ़ते फ्लाई ऐश से हो रहे प्रदूषण पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर सरकार और प्रशासन की आलोचना की गई। प्रदूषण से जंगल, खेती की जमीन नष्ट होने के साथ पशु पक्षी सहित विशेष रूप से आदिवासियों का जीवन और जीविका नष्ट हो रही है। जिसे लेकर बैठक में गंभीर रोष व्यक्त जताया गया। इस अवसर पर आदिवासी समाज का चुनाव किया गया। जिसमें पूर्व विधायक तथा राज्य किसान बमिज के अध्यक्ष वृंदाबन मांझी ने चुनाव अधिकारी की भूमिका निभाई। माधव सिंह नायक को अध्यक्ष, लिगराज प्रधान को महासचिव, गंगाधर भोई को कोषाध्यक्ष व बिनोद बिहारी को आफिस सचिव के रूप में मनोनीत किया गया। जिले के प्रत्येक ब्लाक से व दस समाज से एक एक उपाध्यक्ष एवं 12 को महा सचिव बनाया गया । मौके पर अखिल भारतीय गौंडवाना गौड महासभा के ओडिशा राज्य अध्यक्ष महेन्द्र नायक, बलराम मल्लिक, प्रभाकर ओराम, त्रिलोचन दंडसेना, वेणुधर भोई व मुरली भोई सहित समाज के लोग उपस्थित थे। बैठक में आदिवासी समाज में वृंदावन मांझी व महेन्द्र नायक को स्वतंत्र आमंत्रित अतिथि व बूंदे धुरवा, रत्नाकर प्रधान व प्रभाकर ओराम को सलाहकार कि जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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