दो वर्ष बाद लौटी याददाश्त, अपने परिवार में लौटी श्रीमती मुंडा

जीवन साथी पाकर हर स्त्री का लक्ष्य अपना संसार गढ़ने का होता है। परंतु श्रीमती मुंडा के भाग्य में कुछ और ही लिखा था।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 06:30 AM (IST)
दो वर्ष बाद लौटी याददाश्त, अपने परिवार में लौटी श्रीमती मुंडा
दो वर्ष बाद लौटी याददाश्त, अपने परिवार में लौटी श्रीमती मुंडा

संसू, झारसुगुड़ा : जीवन साथी पाकर हर स्त्री का लक्ष्य अपना संसार गढ़ने का होता है। परंतु श्रीमती मुंडा के भाग्य में कुछ और ही लिखा था। मानसिक विकृति के कारण वह घर से निकल गई थी। वह झारसुगुड़ा कैसे लौटी, यह भी याद नहीं है। श्रीमती पर कुछ समाजसेवियों की नजर पड़ी तो उन्हें मानसिक दिव्यांगो के आश्रा केन्द्र में रखवाया था। जानकारी के अनुसार, करीब दो वर्ष पांच माह के इलाज के बाद व स्मरण शक्ति लौटने के बाद वह अपने परिवार में लौटी है। ढाई वर्ष बाद श्रीमती को सही सलामत पाकर परिवार वाले भी बहुत खुश हैं। अब श्रीमती ने विवाहित जीवन की दूसरी पारी शुरू की है। ढेंकानाल जिले के कामाख्या नगर, थाना वीरासला स्थित रहाणी गांव में श्रीमती मुंडा का घर है। वह मानसिक रूप से दिव्यांग थी। उसका इलाज चल रहा था। 05 मई 1919 को जब घर में कोई नहीं था तो श्रीमती मुंडा घर से कहीं चली गई। परिवार वालों ने उसकी तलाश की, परंतु कोई सुराग नहीं मिला। इस मामले को लेकर कामाख्या नगर थाना में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। उस दिन के बाद श्रीमती का अपने पति, पांच बच्चे व परिवार के अन्य सदस्यों से कोई संपर्क नहीं था। श्रीमती के लापता होने के तीन माह बाद तीन मार्च को झारसुगुड़ा शहर के सरबाहल में यंग स्टार चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य अरविंद बारिक, राजेश पाढ़ी, विवेकानंद मिश्रा, विजय सहगल, टिकू नायक ने उसे जीवन आश्रा केंद्र पहुंचा दिया था। उस वक्त श्रीमती कहां से आई, वह कौन है व उसका क्या नाम है, बता पाने में असमर्थ थी। मिशन आश्रा में लगातार इलाज के बाद श्रीमती धीरे-धीरे ठीक हुई। उसकी याददाश्त भी वापस लौट आई। इसके बाद उसने अपने पति, बच्चों व परिजनों का नाम पता बताया। फिर मिशन आश्रा की ओर से कामाख्या नगर थाना से संपर्क किया गया। सूचना पाकर श्रीमती के पति रमेश मुंडा व उनका भतीजा प्रताप मुंडा झारसुगुड़ा पहुंचे। सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद श्रीमती को अपने साथ घर ले गए। इस अवसर पर झारसुगुड़ा के अतिरिक्त जिलाधीश लंकेश्वर आमत, मिशन आश्रा के संजय सेठी, समाजसेवी राजेश पाढ़ी व टिकू नायक सहित आश्रम के रहने वालों ने हंसी खुशी श्रीमती को विदा किया। श्रीमती ने कहा कि मैंने अपना परिवार व नया जीवन पाया है। मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती।

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