जंगल अधिकार कानून को सही तरीके से कराएं कार्यकारी

जंगल अधिकार कानून-2006 व संशोधित निमयावली-2012 के तहत दावेदार के आवेदन पत्र में परिवर्तन या रद करने के लिए जिलास्तरीय कमेटी की ओर से की जा रही सुनवाई में जंगल अधिकार कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। लोकमुक्ति संगठन ने जिलास्तरीय कमेटी पर यह आरोप लगाया है। नियमवली की धारा-15(1) के अनुसार उप खंडीय स्तरीय कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय के 60 दिन के अंदर जिलास्तरीय कमेटी के पास आवेदन कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:30 AM (IST)
जंगल अधिकार कानून को सही तरीके से कराएं कार्यकारी
जंगल अधिकार कानून को सही तरीके से कराएं कार्यकारी

संसू, झारसुगुड़ा : जंगल अधिकार कानून-2006 व संशोधित निमयावली-2012 के तहत दावेदार के आवेदन पत्र में परिवर्तन या रद करने के लिए जिलास्तरीय कमेटी की ओर से की जा रही सुनवाई में जंगल अधिकार कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। लोकमुक्ति संगठन ने जिलास्तरीय कमेटी पर यह आरोप लगाया है। नियमवली की धारा-15(1) के अनुसार उप खंडीय स्तरीय कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय के 60 दिन के अंदर जिलास्तरीय कमेटी के पास आवेदन कर सकते हैं। इस कानून के तहत सूचना या नोटिस पाने के बाद असंतुष्ट दावेदार इस पर पुनर्रविचार करने के लिए आवेदन करेगा। इसके बाद नियमावली की धारा 15(1) के तहत जिलास्तरीय कमेटी आवेदक को सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित कर लिखित रूप से जानकारी देगी। सुनवाई के लिए तय की गई तारीख के 15 दिन पूर्व विज्ञप्ति के माध्यम से प्रकाशित की जाएगी। हालांकि असंतुष्ट दावेदारों को जिलास्तरीय कमेटी के पास पुनर्रविचार के लिए लिखित आवेदन का अवसर ही नहीं दिया जा रहा है। गैरकानूनी व मनमर्जी तरीके से कमेटी सुनवाई की घोषणा कर रही है। इस कारण जिले के हजारों आदिवासी-वनवासी जंगल अधिकार कानून के तहत न्याय पाने से वंचित हैं। जिला में कई वर्ष पूर्व जिलास्तरीय कमेटी के पास से अनुमोदन की गई जंगल-जमीन की स्वीकृति या पट्टा पाने वाले हिताधिकारियों को भी रद किए जाने का नोटिस भेजा जा रहा है। इससे पट्टा पाने वाले आदिवासी-वनवासी आक्रोशित हो रहे हैं। उन्होंने जिलाधीश से मांग करते हुए कहा कि सुनवाई के नाम पर की जा रही लापरवाही पर हस्तक्षेप कर इसे स्थगित करें। जंगल अधिकार कानून को सही तरीके से कार्यकारी कराया जाए। अब तक जिन आदिवासियों व वनवासियों को इससे वंचित रखा गया है, उन्हें जंगल-जमीन की स्वीकृति प्रदान की जाए।

chat bot
आपका साथी