झारसुगुड़ा में रिकार्ड तोड़ रहा है कोरोना
गत वर्ष इस समय जिले में कोरोना का आतंक था मगर संक्रमितों कि संख्या कम थी। और एक दिन में मात्र 30/35 लोग ही संक्रमित हो रहे थे।
संसू, झारसुगुड़ा : गत वर्ष इस समय जिले में कोरोना का आतंक था मगर संक्रमितों कि संख्या कम थी। और एक दिन में मात्र 30/35 लोग ही संक्रमित हो रहे थे। मगर कोरोना कि दूसरी लहर में प्रति दिन संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। जो तीन सौ के पार है। अगर इसी अनुपात से संक्रमण बढ़ता रहा तो जिले में आने वाले दिनों में कोरोना के विकराल रूप लेने की आशंका बढ़ने लगी है। कोविड नियम पालन में ढिलाई बरती जा रही है। जहां कोरोना कि पहली लहर के समय लोगों को कोरोना के संबंध में पता नहीं था। वहीं पुलिस व प्रशासन नियम को कढ़ाई से पालन कराने में सफल रहे थे। पुलिस व मजिस्ट्रेट हर चौक चौराहे पर घूम-घूमकर नियम को पालन कराने लगे थे। मगर कोरोना की दूसरी लहर के समय उतनी तत्परता नजर नहीं आ रही है। संक्रमण जीतना तेज हो रहा है, लोग उतना ही इसे हलके में ले रहे हैं। लोग ना तो मास्क ही सही ढ़ंग से पहनते है और ना ही सामाजिक दूरता का ही पालन कर रहे है। इस तरह के लोग जो नियम नही मान रहे है। जिसके कारण ही संक्रमण बढ़ रहा है।
खुले में घूम रहे है संक्रमित
गत वर्ष जो भी कोरोना से संक्रमित होता था। तो पुलिस प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग तुरंत उनके पास पहुंच जाता था। और उसे अस्पताल ले जाने के साथ उसके घर में पोस्टर चिपकाने के साथ ही उस अंचल को कंटेनमेंट जोन कर आवागमन पर रोक लगाते थे। कितू कोरोना कि दूसरी लहर के समय जब संक्रमण तेजी से बड़ रहा है। ऐसे समय में संक्रमित कि पहचान होने के बाद प्रशासन पहले कि तरह तत्परता नही दिखा रहा है। वही कंटैक्ट ट्रेसिग भी नही की जा रही है। संक्रमित लोग को घर में रहने कि सलाह दी जाती है। मगर संक्रमित लोग खुले आम घूमते देखे जा सकते है। जो संक्रमण को बढ़ने में सहायक हो रहे है।
स्ट्रीट वेंडरों पर कोरोना की मार
कोरोना के कारण गत वर्ष भारी दिक्कतों को झेलने से आर्थिक रूप से टूट चुके स्ट्रीट वेंडरों को फिर एक बार कोरोना की दूसरी लहर के कारण अपनी दुकान बंद करना पड़ा है। जिला प्रशासन ने संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सड़क के किनारे गुपचुप, चाट, नाश्ता व चाय दुकानों को बंद करने का निर्देश जारी किया है। अब लोग सड़क किनारे खड़े हो कर ठेलों में खा नही सकते । केवल पार्सल ही ले जा सकते है। जिससे सड़क किनारे कि दुकान बंद हो गई है। और गत वर्ष कि आर्थिक मार से अभी तक नही उबर पाए छोटे दुकानदारों के समक्ष अब भूखे मरने कि नौबत आ गई है।
शहर के कई निजी क्लिनिक बंद
शहर के अनेक डॉक्टर वर्तमान में अपनी क्लिनिक को बंद कर रहे है। कुछ डाक्टर संक्रमण के डर से रोगियों को नही देख रहे है। तो कुछ डाक्टर प्रशासन की कड़ाई को देख अपना क्लिनिक बंद कर रहे है। वहीं क्लिनिक में भारी संख्या में रोगियों की भीड़ से सामाजिक दूरता का पालन करना मुश्किल हो रहा है। और इसी कारण डाक्टर भी क्लिनिक को बंद कर रहे है। एक तो जिला अस्पताल में रोगियों की भारी भीड़ रहती है। ऊपर से जिस तरह से शहर में क्लिनिक बंद हो रही है। उससे आम लोगो की समस्या बढ़ रही है। रोगी कहा जा कर अपना इलाज कराए इसे लेकर उनकी चिता बढ़ने लगी है।