गर्मी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ ने बंद की कलमा बैराज के गेट

छत्तीसगढ़ के साथ महानदी नदी के पानी के विवाद ने एक बार फिर से गर्मी बढ़ा दी है और उधर गर्मी भी दस्तक दे रहा हैं। जबकि पड़ोसी राज्य ने उपरी छोर पर पानी के संरक्षण के उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं। सूत्रों ने मुताबिक झारसुगुड़ा जिले की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के कलमा बैराज के 66 गेटों में से 65 बंद हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 05:00 AM (IST)
गर्मी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ ने बंद की कलमा बैराज के गेट
गर्मी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ ने बंद की कलमा बैराज के गेट

संवाद सहयोगी, झारसुगुड़ा : छत्तीसगढ़ के साथ महानदी नदी के पानी के विवाद ने एक बार फिर से गर्मी बढ़ा दी है और उधर गर्मी भी दस्तक दे रहा हैं। जबकि पड़ोसी राज्य ने उपरी छोर पर पानी के संरक्षण के उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं। सूत्रों ने मुताबिक झारसुगुड़ा जिले की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के कलमा बैराज के 66 गेटों में से 65 बंद हो चुके हैं। परिणामस्वरूप हीराकुंद जलाशय में पानी का एक भी बूंद नहीं आ रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महानदी नदी के सभी द्वारों को ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में बंद करने के कदम पर ओडिशा सरकार ने आपत्ति जताई है, क्योंकि मौसम विभाग ने इस साल भीषण गर्मी की भविष्यवाणी की है।

स्वास्थ्य मंत्री नव किशोर दास ने कहा कि ओडिशा सरकार ने इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने महानदी के पानी को रोककर विवाद को नया कर दिया है। हालांकि, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस मुद्दे पर केंद्र के साथ सीधे संपर्क में हैं और उन्होंने आश्वस्त किया है कि विवाद का जल्द समाधान होगा। ब्रजराजनगर के विधायक किशोर कुमार मोहंती ने कहा कि महानदी नदी ओडिशा के 20 जिलों की जीवन रेखा है, लेकिन छत्तीसगढ़ ओडिशा के लोगों के हितों के खिलाफ महानदी के पानी को जबरन रोक रहा है। ओडिशा सरकार ने महानदी पर छत्तीसगढ़ द्वारा बांधों और बैराज के निर्माण के खिलाफ राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के शरण में गई है तथा यह मामला विचाराधीन है। हालांकि, एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करते हुए, पड़ोसी राज्य ने बगैर मानसून के मौसम के दौरान पानी को अवरुद्ध कर दिया है।

ओडिशा के निचले जलग्रहण क्षेत्रों के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वे पिछले पांच वर्षों से पानी के अभाव में पीड़ित हैं। हालांकि हीराकुद का बैकवाटर सीमावर्ती गांव सुखसोदा तक फैला है, लेकिन अब यहां पर नदी का पानी सूख गया है। ऐसी स्थिति में, कई स्थानीय किसानों, जिन्होंने खेती शुरू कर दी है, उन्हें बीच में काम छोड़ना पड़ रहा है।

बार-बार बैराज खोलने की मांग किए जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार झारसुगुड़ा के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की वास्तविक मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, जबकि यह लोग काफी हद तक महानदी नदी के पानी पर निर्भर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि एनजीटी को छत्तीसगढ़ को निर्देश देना चाहिए की वे महानदी के पानी को नहीं रोके।

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