67 भागवत मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए मिले 33 लाख रुपये नहीं हुए खर्च

सरकारी अधिकारियों की मनमर्जी के कारण जिले में सरकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण है जिला संस्कृति विभाग।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 09:00 AM (IST)
67 भागवत मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए मिले 33 लाख रुपये नहीं हुए खर्च
67 भागवत मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए मिले 33 लाख रुपये नहीं हुए खर्च

संसू, झारसुगुड़ा : सरकारी अधिकारियों की मनमर्जी के कारण जिले में सरकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण है जिला संस्कृति विभाग। इस विभाग में नियमित जिला संस्कृति अधिकारी तक नहीं हैं। वर्षो से इसका दायित्व जिला सूचना व लोक संपर्क अधिकारी ही निभा रहे हैं। इसी कारण सरकार की ओर से जारी होने वाले निर्देशों को लागू करने में संस्कृति विभाग विफल है। एक प्रकार से यह विभाग निकम्मा हो गया है। विभिन्न गांवों में स्थित भागवत मंदिरों के लिए पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय से 33 लाख रुपये यूं ही पड़े हुए हैं। वर्ष 2011-12 में अन्य जिलों की तरह झारसुगुड़ा जिला में भागवत मंदिर के पुनरुद्धार के साथ-साथ गांव-गांव में ओडिया संस्कृति व परंपरा को बचाने के लिए राज्य सरकार ने कदम उठाया था। इसके लिए सर्वे करा कर रिपोर्ट भी प्रदान की गई थी। 2013 में जिला के पांच ब्लाक के बीडीओ से जिलाधीश ने भागवत मंदिरों का रिपोर्ट मांगा था। मगर बीडीओ ने अपनी मनमर्जी के तहत रिपोर्ट दी गई थी। इस संबंध में कला संस्कृत संघ के अध्यक्ष सुरंग प्रधान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पहले लखनपुर ब्लाक में 20 भागवत मंदिर की बात कही गई थी। परंतु बाद में 28 भागवत मंदिरों को स्वीकृति दी गई। लखनपुर ब्लाक के 20 भागवत मंदिरों के लिए पहले चरण में 15 हजार व फिर 25 हजार रुपये प्रदान किए गए थे। परंतु जिला स्तर तक अनुदान पहुंचने के बाद भी अब तक आवंटित नहीं किया गया। झारसुगुडा़ व लखनपुर ब्लाक के 32 भागवत मंदिरों में से 30 ने अपना बैंक एकाउंट भी खोल लिया था। प्रत्येक भागवत मंदिर के लिए 50 हजार रुपये का अनुदान जिला को दिया जा चुका है, जिसमें से दस हजार रुपये का एक माइक सेट व चालीस हजार रुपये मंदिर के अन्य खर्चों के लिए हैं। जिले में कुल 67 भागवत मंदिर है। 67 मंदिरों के लिए पिछले वर्ष जनवरी 2020 में 33 लाख रुपये अनुदान जिला को दिया जा चुका है।

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