बेजुबानों की सेवा में समर्पित दो महिलाओं ने पेश की मिसाल, 120 जानवरों को खिलाती हैं खाना

कटक की दो महिला समाजसेविका हर दिन 120 जानवरों को खाना खिलाने के साथ घायल जीव जंतुओं का उपचार करती हैं। आवारा जीव जंतुओं की सेवा के लिए दैनिक डेढ़ से दो घंटे का समय निर्धारित किया हुआ है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 09:35 AM (IST)
बेजुबानों की सेवा में समर्पित दो महिलाओं ने पेश की मिसाल, 120 जानवरों को खिलाती हैं खाना
ओडिशा की दो समाजसेवियों ने बेजुबानों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया है।

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। हर जीव में परमात्मा का वास होता है, प्रत्येक जीव परमात्मा के अंश हैं, अब चाहे वह मानव हों या फिर पशु पक्षी। चोट लगने पर मानव को जिस प्रकार से दर्द होता है उसी प्रकार से पशु पक्षियों को भी दर्द होता है। इसी कथन को अपने जीवन में चरितार्थ बनाते हुए ओडिशा की दो समाजसेवियों ने बेजुबानों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया है। ऐसा नहीं है कि दैनिक ये दोनों समाजसेवी पशु-पक्षियों या जानवरों की सेवा में दिन रात लगी रहती हैं, बल्कि इसके लिए एक समय निर्धारित कर लिया है और उसी के तहत प्रत्येक दिन डेढ़ से दो घंटे इनकी सेवा में लगी रहती हैं। घर से स्कूटी पर इनके खाने की सामग्री के साथ दवा मरहमपट्टी की सामग्री लेकर निकल जाती हैं और जहां कहीं भी बीमार गाय, कुत्ता, बिल्ली, पक्षी मिलते हैं उनका उपचार करने के साथ उनकी सेवा करते हुए लोगों को जीवों पर दया करने का संदेश देती हैं। आज इनके इस मुहिम को न सिर्फ कटक शहर बल्कि आस-पास के शहर के लोगों ने भी सराहा है।

  जानकारी के अनुसार मिशन सब के तहत समाजसेवी कल्पना जैन एवं सम्पत्ति मोडा के नेतृत्व में शहर के गली मौहल्‍ले के रास्ते में कुत्तों, बिल्लियों का एक्सीडेंट हो या फिर उन्हें कोई भी परेशानी हो उनका तुरंत डॉक्टर द्वारा हर सम्भव इलाज करवाया जा रहा है। सम्पत्ति मोडा ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि इन जानवरों की पूरी तरह की सेवा कल्पना द्वारा स्वयं की जाती हैं, इस पूरे कार्य में उन्हें उनकी मां सरला सिंघी का पूर्ण सहयोग मिलता है। कल्पना जी से बात करने पर उन्होंने इस सफर की जानकारी कुछ यूं दी।

  उन्होंने बताया कि ये बात 28 नवंबर 2015 की है जब हमारे घर एक नए मेंबर की एंट्री हुई, हमारा पेट (हमारा ब्रूनो)। पहले पहले मुझे बहुत डर लगता था उससे, पर कुछ दिन बाद जब मैंने पहली बार उसे छुआ तो एक अलग सा प्यार जग गया मन में। जानवरों के प्रति मेरा नजरिया बदल गया। धीरे-धीरे मेरे मन में प्यार जागता चला गया। 2019 से प्यार के साथ-साथ एक तकलीफ सी महसूस होने लगी इन सबको सड़क पर भूखे प्यासे व बीमार देखकर। मैंने ये निश्चय किया कि मुझे कुछ ना कुछ करना होगा। हमारे एरिया में नीचे एक के बच्चे होने वाले थे, जिसका नाम मैंने मैक्स दिया। मैंने उसे दोनों टाइम खाना देना शुरू किया। जब उसके बच्चे हुए तो हमने उसके लिए जगह बनाने, बारिश से बचाने, बच्चों का ध्यान रखने, सब किया।

फिर हमें और भी ऐसे मिले जिनके बच्चे हुए थे। हमने एक एक करके सबको अपना फ़ैमिली मेंबर बना लिया। दोनों समय का खाना पानी देना शुरू किया। बीमार होने पर, ऐक्सिडेंट होने पर हम भाग-भाग कर उन्हे हॉस्पिटल लेकर जाते। इस तरह से करीब नवंबर 2019 से फरवरी 2021 तक दोनों समय तकरीबन 120 जानवरों को हम प्रत्येक दिन दोनों समय का खाना खिला रहे है। हर रोज़ घूमकर करीब डेढ़ से दो घंटे लगते है खाना देने में। कोरोना के समय हम लॉकडॉउन में भी हर दिन घूम-घूमकर सभी भूखे कुत्‍तों को खाना खिलाकर आते। गाडियां बंद थी तो हम पैदल निकलते, जिससे हमे करीब तीन घंटे लग जाते। फिर थोड़ा साथ मिला तो हम एक्टिवा से जाने लगे। फिर हमने दूर-दूर के एरिया में भी खाना देना शुरू किया। 

 कचरे के डिब्बे के पास का दृश्य देखकर मेरी हालत खराब हो जाती, जब वहां सब खाना ढूंढ रहे होते। आज इस मिशन में मेरा साथ दिया है एक छोटी बच्ची सस्मिता ने। सस्मिता को जानवरों से बहुत प्यार है और इनके खाना और इलाज के लिए हमेशा मेरे साथ रहती है। हमारा साथ दे रहे है डॉक्टर तूफान सर, जो एक फोन करने के साथ जगह पर पहुंचकर जानवरो का इलाज करके उन्हें नई ज़िंदगी देते है। 

आज हालत ये है कि जब भी बाहर निकलती हूं, मेरे साथ स्प्रे, दवाइयां, बिस्किट वगैरह हमेशा मेरे बैग में रहते है। जहां भी छोटे-छोटे बच्चों को देखते है,वहां उनके लिए कार्टून वगैराह रखकर उनके लिए जगह बनाकर आते है। आज भी हम हफ्ते में एक दिन सब एरिया घूमकर खाना देते है और बीमार गाय और कुत्तों को ढूंढ़कर उनका इलाज करते है।

हमारी बिल्डिंग में जब कोरोना आ गया तब भी मैंने अपने किसी जानवरों को भूखा नहीं रहना दिया। दोनों समय फोन कर करके खाना भिजवाया। अभी कटक की विभिन्न जगहों पर जानवरों के पीने के पानी के कुंडे रखवाये गए हैं, जिसमें रोज घूम-घूम कर सफाई के साथ ही साथ पानी भी भरा जा रहा है। इतना ही नहीं, जो कुंडे पहले से रखें है उन्हें भी साफ़ करके पानी भरा जा रहा है।

किसी को भूखा देखे तो खाना जरूर खिलाए

अगर हर इंसान अपने घर के सामने दो कुत्तों दो गायों को भी दो समय का खाना दे, तो कोई जानवर भूखे प्यासे से नहीं तड़पेगा। मिशन सब के मुख्यतः संपत्ति मोड़ा आंटी के साथ मिलकर हम लोग हर दिन जानवरों एवं पंछियों की सेवा करते हैं। मेरी हिम्मत, मेरी प्रेरणा है संपत्ति आंटी। संपत्ति मोडा ये नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। क्योंकि ये सिर्फ एक नाम नहीं, अपने आप में एक पूरी संस्था है। इन्होंने हर समय मेरा साथ दिया है। इनका हर गरीबों के प्रति, जानवरों के प्रति एक अनोखा प्यार है। जरूरत पड़ने पर आधी रात को भी निकल जाती है घर से। मुझे उम्मीद है हम दोनों मिलकर इसी तरह मिशन सब को उस कामयाबी पर लेकर जाएंगे जहां कोई बेजुबान भूखा प्यासा ना रहे।

chat bot
आपका साथी