Puri Jagannath Temple: श्री जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी के विभिन्न नियोग के प्रतिनिधित्व मुद्दे को लेकर विवाद
श्री जगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी को विभिन्न नियोग के सदस्य को ही मनोनीत करते समय खूंटियां नियोग के सेवकों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने सप्ताह के अंदर कानून के तहत निर्णय लेने के लिए श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक को निर्देश दिया है।
कटक, जागरण संवाददाता। पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर संचालन कमेटी में हर तरह नियोग को प्रतिनिधित्व के लिए मौका नहीं मिल रहा है। केवल कुछ निर्दिष्ट नियोग के सेवकों को संचालन कमेटी को मनोनीत किया जा रहा है। ऐसे में खूंटियां नियोग को उसमें नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसा कुछ आरोप लाते हुए हाईकोर्ट में दायर मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता खूंटियां नियोग के आरोप यानी रिप्रेजेंटेशन के ऊपर हाईकोर्ट ने सप्ताह के अंदर कानून के तहत निर्णय लेने के लिए श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक को निर्देश दिया है। एक सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता मुख्य प्रशासक के समक्ष विस्तृत तथ्य के साथ आरोप पत्र दाखिल करेंगे। उसके बाद मुख्य प्रशासक उस मुद्दे पर निर्णय लेंगे। निर्णय संबंध में याचिकाकर्ता को अवगत किया जाएगा। यह बात भी हाईकोर्ट अपने निर्देश में स्पष्ट की है।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस विश्वजीत महांती को लेकर गठित खंडपीठ खूंटियां नियोग के याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। मामले से मिली जानकारी के मुताबिक, श्री जगन्नाथ मंदिर कानून 1955 के तहत श्रीमंदिर संचालन के लिए परिचालन कमेटी गठन की गई है। श्री जगन्नाथ मंदिर (प्रशासन) कानून 1952 अधीन तैयार की जाने वाली रिकॉर्ड ऑफ राइट्स के तहत श्री जगन्नाथ मंदिर में स्वीकृत प्राप्त करीब 119 प्रकार के सेवक हैं। लेकिन मंदिर संचालन कमेटी को निर्दिष्ट कुछ नियोगी सेवकों को ही मनोनीत यानी चुना जा रहा है। इस संबंध में खूंटियां नियोग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने यह बात याचिका में दर्शाया है ।
श्रीमंदिर में पूरे दिन के अंदर खूंटियां नियोग के सेवकों की सेवा रहती है। रोजाना श्रीमंदिर में 19 प्रकार की सेवा पूजा केवल खूंटियां नियोग के द्वारा संपादन की जाती है। मंदिर खुलने से शुरू करते हुए श्रीमंदिर बंद होने तक इनका सेवा जारी रहता है। लेकिन संचालन कमेटी को विभिन्न नियोग के सदस्य को ही मनोनीत करते समय खूंटियां नियोग के सेवकों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। केवल कुछ निर्दिष्ट नियोग को ही संचालन कमेटी को मनमानी करते हुए चुना जाता है। यह बात भी दर्शाया है याचिकाकर्ता ने। इस मामले में राज्य सरकार, श्री मंदिर के मुख्य प्रशासक और पूरी जिलाधीश को पक्ष बनाया गया था।