सैनिकों को जमीन देने के नाम पर करोड़ों की ठगी: आरोपियों को अदालत ने सुनाया ये फरमान

सैनिकों को जमीन मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों की ठगी के मामले में अदालत ने आरोपियों को 5 साल जेल की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जमीन के लिए रुपये जमा करने वाले लोगों में सेना के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त सैनिक भी थे।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 28 Aug 2021 11:48 AM (IST) Updated:Sat, 28 Aug 2021 11:48 AM (IST)
सैनिकों को जमीन देने के नाम पर करोड़ों की ठगी: आरोपियों को अदालत ने सुनाया ये फरमान
सैनिकों को भुवनेश्वर में जमीन मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी

भुवनेश्‍वर, जागरण संवाददाता। सैनिकों को भुवनेश्वर में जमीन मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने के आरोप को लेकर दायर मामले में कर्नल राकेश राणा और पूर्ण चंद्र पंडा को कटक स्वतंत्र चिटफंड अदालत ने दोषी करार दिया है। दोनों आरोपियों को आइपीसी की धारा 420 के तहत 5 साल की जेल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना, दफा 406 के तहत 3 साल की जेल और ओपीआईडी कानून की धारा 6 के तहत 5 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

कोर्ट के निर्देश के अनुसार तमाम सजा एक साथ आरोपियों पर लागू होगी, जुर्माना राशि ना भर पाने पर आरोपियों को और अधिक एक साल की सजा जेल में काटनी होगी। साथ ही साथ इस मामले में दो संस्थान सैनिक वेलफेयर आर्गेनाइजेशन और ब्रोक्सन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को भी अदालत भादवि की धारा 420 और धारा 6 के तहत 2 लाख का जुर्माना से दंडित किया है।

विदित है कि, सेना के अवसर प्राप्त यानी सेवा निवृत्त कर्मचारी आरोप लाए थे कि कर्नल राणा सैनिक वेलफेयर आर्गेनाइजेशन नाम से संस्थान बनाकर भुवनेश्वर गीरिंगपुट मौजा में जमीन मुहैया कराने के लिए कहकर 542 लोगों के पास से करीब 29 करोड़ रुपए इकट्ठा किए थे। लेकिन वायदे के मुताबिक यह संस्थान 2012 जून महीने के अंदर जमीन मुहैया नहीं कर पाया था और ना ही जमा करने वाले लोगों को रुपया लौटा पाया था।

जमीन के लिए रुपए जमा करने वाले लोगों में सेना के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त सैनिक भी थे। ब्रोकसन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड संस्थान को जमीन मुहैया कराने के लिए 19 करोड़ से अधिक रुपये दिए गए थे। सेना के सेवा निवृत्त कर्मचारी संघ के डिफेंस इंटरसिटी वाटिका एसोसिएशन के अध्यक्ष पतितपावन बिस्वाल क्राइमब्रांच के आर्थिक अपराध शाखा में इस बारे में वर्ष 2015 में एक मामला दर्ज किया था। मामला दर्ज करते हुए जांच पड़ताल कर सैनिक वेलफेयर आर्गेनाइजेशन के मुख्य कर्नल राणा के साथ-साथ ब्रिक्सन के एम डी पूर्ण चन्द्र पंडा को भी गिरफ्तार किया था। लेकिन बाद में दोनों अदालत से सशर्त जमानत में निकले थे। अदालत में इस मामले की सुनवाई के समय मामला दर्ज करने वाले शख्स, जांच अधिकारी और 12 लोगों की गवाही ली गई थी। इसके अलावा 200 से अधिक कागजात की पहचान की गई थी। सरकार की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रासिक्यूटर सुब्रत कुमार मोहंती और विश्वजीत महापात्र मामला संचालन कर रहे थे।

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